2012-04-07 09:20:46

रोमः कोलोसेऊम में सन्त पापा ने क्रूस मार्ग की विनती का किया नेतृत्व


रोम, 07 अप्रैल सन् 2012 (सेदोक): रोम के ऐतिहासिक स्मारक कोलोस्सेऊम में शुक्रवार सन्ध्या सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने पवित्र क्रूस मार्ग की विनती का नेतृत्व किया। इस वर्ष का चिन्तन काथलिक लोकधर्मी समुदाय फोकोलारी अभियान के एक इताली दम्पत्ति द्वारा लिखा गया था।

क्रूस मार्ग की प्रार्थना के अवसर पर वाटिकन के महापुरोहित कार्डिनल अगोस्तीनो वालिनी के नेतृत्व में, इसराएल में पवित्र भूमि की देखरेख करनेवाले फ्राँसिसकन धर्मसमाज के दो पुरोहितों तथा इटली, आयरलैण्ड, अफ्रीका तथा लातीनी अमरीका से रोम पहुँचे परिवारों ने क्रूस की प्रतिमा को ढोया।

क्रूस मार्ग के 14 मुकामों पर प्रार्थना के उपरान्त सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने अपना चिन्तन व्यक्त किया। भक्त समुदाय सम्बोधित कर उन्होंने कहा, "एक बार फिर चिन्तन, प्रार्थना एवं गीतों में हमने प्रभु येसु मसीह की क्रूस यात्रा पर मनन किया। यह यात्रा आशा विहीन प्रतीत हुई तथापि, इसने मानव जीवन एवं इतिहास को बदल कर रख दिया तथा जैसा कि प्रकाशना ग्रन्थ में कहा गया हैः "नये स्वर्ग एवं नई धरती के द्वार खोल दिये" (दे. प्रकाशना ग्रन्थ 21:1)।

सन्त पापा ने कहा कि प्रभु येसु की मृत्यु एवं उनके क्रूस में काथलिक कलीसिया उस जीवन वृक्ष को देखती है जिससे नई आशा प्रस्फुटित होती है।

उन्होंने कहा, "पीड़ा तथा क्रूस का अनुभव सम्पूर्ण मानवजाति का स्पर्श करता है; वह परिवार का भी स्पर्श करता है। कितनी बार हमारी जीवन यात्रा चिन्ताओं एवं कठिनाईयों से भरी होती है। ग़ैरसमझदारी, संघर्ष, बच्चों के भविष्य को लेकर उत्कंठा, रोग और अन्य प्रकार की समस्याओं से हम घिरे रहते हैं। आज कल के दिनों में भी, बेरोज़गारी तथा आर्थिक संकट की वजह से उत्पन्न अन्य नकारात्मक परिणामों के कारण अनेक परिवारों की स्थिति अत्यधिक कठिन हो चली है। क्रूस का मार्ग, हमें और विशेष रूप से परिवारों को क्रूसित ख्रीस्त पर मनन हेतु आमंत्रित करता है ताकि समस्याओं को पार कर सकने की, हम, शक्ति अर्जित कर सकें।"

सन्त पापा ने कहा, "प्रभु ख्रीस्त का क्रूस प्रत्येक स्त्री एवं प्रत्येक पुरुष के लिये ईश्वर के प्रेम का परम संकेत है। अस्तु, कठिनाइयों की घड़ी में हम प्रभु ख्रीस्त के क्रूस को निहारें तथा उससे साहस एवं शक्ति प्राप्त करें। कठिन निराशा की घड़ियों में हम आशा के साथ सन्त पौल के इन शब्दों को दुहरायें: "कौन हमें मसीह के प्रेम से वंचित कर सकता है? क्या विपत्ति या संकट? क्या अत्याचार, भूख, नग्नता, जोख़िम या तलवार? .......नहीं, इन सब बातों पर हम उन्हीं के द्वारा सहज ही विजय प्राप्त करते हैं, जिन्होंने हमें प्यार किया" (रोमियों 8:35,37)। सन्त पापा ने कहा कि प्रभु ख्रीस्त का प्रेम ही हमें यह एहसास दिलाता है कि कठिनाइयों में हम अकेले नहीं हैं, परिवार अकेले नहीं हैं। प्रभु येसु ख्रीस्त का प्रेम सदैव हमारे साथ विद्यमान रहता तथा हमें समर्थन प्रदान करता है।

अन्त में सन्त पापा ने कहा, "येसु के क्रूस तले खड़ी माँ मरियम से हम प्रार्थना करें कि मरियम क्रूस एवं पुनःरुत्थान के रहस्य तक हमारा मार्गदर्शन करें। ख्रीस्त के पुनःरुत्थान से प्रज्वलित ज्योति तक वे हमें ले जायें जो बुराई, पीड़ा एवं मृत्यु पर प्रेम, आनन्द और जीवन की विजय को प्रकाशमान बनाती है।"








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