साउदी अरेबिया के ग्रैड मुफ़्ती के निर्देश का विरोध
मुम्बई, 31 मार्च, 2012 (एशियान्यूज़) अखिल भारतीय ईसाई समिति (एआइसीसी) ने साउदी अरेबिया
के ग्रैड मुफ़्ती शेख अब्दुल अज़ीज बिन अब्दुल्लाह के उस वक्तव्य का विरोध किया किया
जिसमें मुफ़्ती ने कहा है "यह ज़रूरी है कि अरेबियन पेनिन्सुला के सभी गिरजाघरों को ध्वस्त
किया जाये।" एआइसीसी ने इस प्रकार के वक्तव्य को ‘धर्मान्ध और खतरनाक’ कहा है। समिति
के अध्यक्ष जोसेफ डीसूज़ा के अनुसार मुफ़्ती की ऐसे विवादी अपील से अरेबियन पेनिनसुला
में रहने वाली ख्रीस्तीय कलीसिया में डर समा गया है और इसका असर पूरी दुनिया में सभी
अल्पसंख्यक समुदायों पर पड़ेगा। एआइसीसी के महासचिव जोन दयाल ने कहा, "केन्द्र सरकार
और अन्य सभ्य राष्ट्र अरेबियन पेनिनसुला मे दिये गये वह्हाबी इमाम के धर्मांधी वक्तव्य
का विरोध करें और येमेन. कुवैत. बहरीन. कतार. ओमान और यूएई में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा
निश्चित करें। साउदी अरेबिया में ईसाई धर्म को पहले ही प्रतिबंधित कर दिया गया है और
वहाँ पर कोई भी गिरजाघर नहीं है। स्थानीय समाचारपत्रों के अनुसार मुफ़्ती की विवादास्पद
वक्तव्य के साथ ही कुवैत की प्रजातांत्रिक असेम्बली ने भी इस बात का प्रस्ताव किया है
कि उनके देश में नये गिरजाघरों का निर्माण नहीं करने दिया जायेगा और शरिया कानून को सख़्ती
से लागू किया जायेगा। विदित हो कुवैत साउदी अरेबिया और खाड़ी देशों में भारत और फिलीपींस
के करीब 3.5 मिलियन ईसाई कार्य करते हैं जिनमें से 8 लाख सिर्फ़ साउदी अरेबिया में कार्यरत
हैं। एआइसीसी ने कहा है कि ग्रैड मुफ़्ती के वक्तव्य संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के
विरुद्ध हैं जिसमें चार्टर इस बात की घोषणा करती है कि वह धर्म या विश्वास के नाम पर
होनेवाले कोई भी असहिष्णुता और भेदभाव के ख़िलाफ है।