लेओनः मेक्सिको में सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें का स्वागत
लेओन, 24 मार्च सन् 2012 (सेदोक): "बेनवेनिदो आल कोराज़ोन दे मेस्सिको", "मेक्सिको के
हृदय में आपका हार्दिक स्वागत", इन शब्दों से शुक्रवार सन्ध्या मेक्सिको ने देश में काथलिक
कलीसिया के परमाध्यक्ष सन्त पापा बेनेडिक्ट 16वें का भावपूर्ण स्वागत किया।
सन्त
पापा बेनेडिक्ट 16 वें इस समय मेक्सिको की प्रेरितिक यात्रा पर हैं। रोम से 14 घण्टों
की यात्रा पूरी कर सन्त पापा शुक्रवार सन्ध्या मेक्सिको के लेओन शहर पहुँचे। रोम तथा
मेक्सिको में लगभग सात घण्टों का अन्तर है। रोम से लेओन तक की लम्बी विमान यात्रा तथा
सात घण्टों के समयान्तर को ध्यान में रखकर ही 85 वर्षीय सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें के
प्रथम दो दिनों के कार्यक्रमों को कुछ हल्का रखा गया था। इटली से फ्राँस, यू.के., आयरलैण्ड,
डेनमार्क, ग्रीनलैण्ड, कनाडा तथा उत्तरी अमरीका से होते हुए, शुक्रवार को सन्त पापा,
मेक्सिको समयानुसार, सन्ध्या साढ़े चार बजे लेओन शहर के ग्वानाहुआतो अन्तरराष्ट्रीय हवाई
अड्डे पहुँचे।
विमान के उतरते ही सारा वातावरण करतल ध्वनि एवं जयनारों से गूँज
उठा। प्रशंसकों ने वाटिकन एवं मेक्सिको के धवजों को फहराकर अपने खास अतिथि के प्रति सम्मान
का प्रदर्शन किया। मेक्सिको में कार्यरत परमधर्मपीठ के राजदूत महाधर्माध्यक्ष क्रिस्टोफ
पियेर तथा नयाचार अध्यक्ष ने विमान पर जाकर सन्त पापा का अभिवादन किया।
विमान
की सीढ़ी के नीचे मेक्सिको के राष्ट्रपति फिलिप दे येसुस कालदेरॉन एवं उनकी धर्मपत्नी
तथा लेओन के महाधर्माध्यक्ष होसे ग्वादालूपे मार्टिन राबागो सहित अनेकानेक वरिष्ठ सरकारी
एवं कलीसियाई अधिकारियों की उपस्थिति में, लगभग साढ़े तीन हज़ार प्रशंसकों के जयनारों
तथा गिरजाघरों के घण्टों का आवाज़ ने मेक्सिको में खास मेहमान के आगमन की सूचना विश्व
को दी। वाटिकन तथा मेक्सिको के राष्ट्रीय गीतों की धुनें बजाई गई तथा सैन्य शानोशौकत
के साथ सार्वभौमिक काथलिक कलीसिया तथा वाटिकन के राष्ट्राध्यक्ष के प्रति सम्मान का प्रदर्शन
किया गया।
राष्ट्रपति कालदेरॉन ने सन्त पापा के आदर में अभिवादन पत्र पढ़ा तथा
मेक्सिको की भूमि को अपने चरणों से कृतार्थ करने के लिये उनका शत् शत् धन्यवाद किया।
राष्ट्रपति ने स्मरण दिलाया कि मेक्सिको विश्व के सर्वाधिक विशाल काथलिक देशों में से
एक है। उन्होंने कहा कि विगत शताब्दी में, राज्य के साथ संघर्ष के इतिहास के बावजूद मरियम
भक्ति, सार्वभौमिक काथलिक कलीसिया एवं उसके परमाध्यक्ष के प्रति निष्ठा तथा मानवाधिकारों
की रक्षा के लिये मेक्सिको की कलीसिया सराही जाती है।
जहाँ तक धर्म सम्बन्धी
प्रश्नों का मुद्दा है, ऐतिहासिक तौर पर मेक्सिको कई गुटों में बँटा है। सन् 1910 की
काँन्ति मुख्यतः कलीसिया के पुरोहित वर्ग के विरुद्ध थी तथा सन् 1917 ई. के संविधान में
धर्मशिक्षा प्रदान करना तथा सार्वजनिक स्थलों में याजकीय परिधान धारण करना भी वर्जित
कर दिया गया था। इन प्रतिबन्धों ने ही क्रिस्तेरो काँन्ति को जन्म दिया था जब सरकारी
सुरक्षा बलों तथा काथलिक विद्रोहियों की लड़ाई में कम से कम 90,000 मारे गये थे।