वाटिकन सिटी, 19 मार्च सन् 2012: सन्त जोसफ के विषय में हमें जो भी मालूम है उन सबका
स्रोत है पवित्र धर्मग्रन्थ बाईबिल। वे मरियम के पति तथा येसु के पालक पिता थे। सुसमाचारों
से ही हमें पता चलता है कि पेशे से वे एक साधारण बढ़ई थे। वे राजा दाऊद के वंश के थे।
वस्तुतः, उन्हें सर्वप्रथम प्रणाम करनेवाला स्वर्गदूत उन्हें "दाऊद वंशी" कहकर पुकारता
है।
बाईबिल धर्मग्रन्थ से ही हमें यह ज्ञान मिलता है कि जोसफ एक धर्मपरायण, दयावान
एवं नियमों का पालन करनेवाले सत्यवान पुरुष थे। इसीलिये जब उन्हें पता चला कि कुँवारी
होते हुए भी मरियम गर्भवती हो गई थीं तब उन्होंने उनका परित्याग करना चाहा किन्तु स्वर्गदूत
ने आकर, मरियम के कौमार्य एवं देहधारी ख्रीस्त का सच उनपर प्रकट किया। विश्वास के धनी
जोसफ ने स्वर्गदूत के वचनों को प्रभु का सन्देश मानकर स्वीकार किया तथा उसी के अनुकूल
मरियम के पति होने का कर्त्तव्य पूर्णतः निभाया। येसु की सार्वजनिक प्रेरिताई के आरम्भ
तक वे निष्ठापूर्वक नाज़रेथ परिवार के अध्यक्ष तथा पति एवं पिता के दायित्वों का निर्वाह
करते रहे।
येसु के क्रूसमरण और पुनःरुत्थान के समय, सुसमाचारों में, जोसफ का
कहीं भी ज़िक्र नहीं मिलता इसीलिये ईशशास्त्रियों एवं बाईबिल पण्डितों ने सर्वसम्मति
से यह मान लिया है कि येसु की सार्वजनिक प्रेरिताई के समय ही जोसफ की मृत्यु हो चुकी
थी।
काथलिक कलीसिया सहित पूर्वी रीति की ऑरथोडोक्स कलीसिया, एंग्लिकन कलीसिया
तथा लूथरन कलीसिया में भी सन्त जोसफ की भक्ति की जाती है। सन्त जोसफ विश्वव्यापी काथलिक
कलीसिया के संरक्षक सन्त होने के साथ साथ पिताओं, सुतारों तथा सामाजिक न्याय के भी संरक्षक
सन्त हैं।
काथलिक कलीसिया सन्त जोसफ के दो पर्व दिवस मनाती है। 19 मार्च को मरियम
के पति एवं येसु के पालक पिता सन्त जोसफ का पर्व तथा पहली मई को मज़दूरों के संरक्षक
सन्त जोसफ का पर्व।
चिन्तनः कोई कितना महान है इसका अन्दाज़ उसके पेशे से
नहीं अपितु उसके गुणों से लगाया जा सकता है।