2012-03-19 15:08:26

देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें द्वारा दिया गया संदेश


वाटिकन सिटी 19 मार्च 2012 (सेदोक, एशिया न्यूज) संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने रविवार 18 मार्च को संत पेत्रुस बासिलिका के प्रांगण में देश विदेश से आये हजारों तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व सम्बोधित किया। उन्होंने इताली भाषा में सम्बोधित करते हुए कहा -
अतिप्रिय भाईयो और बहनो,
पास्का की ओर हमारी यात्रा में, हम चालीसाकाल के चौथे रविवार में हैं। यह यात्रा येसु के साथ मरूस्थल में है अर्थात एक अवधि जिसमें हम ईश्वर की आवाज को और अधिक सुनें तथा हमारे अंदर होनेवाले प्रलोभनों को निकालें। मरूस्थल के क्षितिज पर क्रूस है। येसु जानते हैं कि यह उनके मिशन का शिखर है। वस्तुतः ख्रीस्त का क्रूस प्रेम की पराकाष्ठा है जो हमें मुक्ति प्रदान करता है। वे स्वयं आज के सुसमाचार में कहते हैं- जिस तरह मूसा ने मरूभूमि में साँप को ऊपर उठाया था उसी तरह मानवपुत्र को ऊपर उठाया जाना होगा जिससे जो उस में विश्वास करे वह अनन्त जीवन प्राप्त करे।
यह संदर्भ उस प्रसंग के संगत है जिसमें मिस्र से निर्गमन करते समय, इस्राएलियों पर विषैले साँपों ने हमला किया था और अनेक लोग मारे गये थे तब ईश्वर ने मूसा को आदेश दिया था कि काँसे का साँप बनाकर उसे एक डण्डे पर लगाओ। जब किसी को साँप काटता था तो वह काँसे के साँप की ओर दृष्टि डालकर अच्छा हो जाता था।
यहाँ तक कि येसु भी क्रूस पर ऊपर उठाये जायेंगे ताकि जो भी पाप के कारण मृत्यु के खतरे में हो, विश्वास में उनकी ओर मुड़े जो हमारे लिए मर गये वह बच जायेगा। संत योहन लिखते हैं- ईश्वर ने अपने पुत्र को संसार में इसलिए नहीं भेजा कि वह संसार को दोषी ठहराये। उसने उसे इसलिए भेजा है कि संसार उसके द्वारा मुक्ति प्राप्त करे।

संत अगुस्टीन टिप्पणी करते हुए लिखते हैं- चिकित्सक जैसा कि उस पर निर्भर है कि बीमार को चंगा करे। यदि डाक्टर की पर्ची न हो तो मरीज का नाश हो जायेगा। मुक्तिदाता इस दुनिया में आये यदि आप उनके द्वारा नहीं बचाया जाना चाहते हैं आप अपने लिए निर्णय करें। अतः अनन्तता ईश्वर की असीम प्रेम है जो इस बिन्दु तक आये कि बहुतों के प्राण के लिए अपने एकलौते पुत्र को रक्षा शुल्क के रूप में दे दिया, हमारा उत्तरदायित्व महान है। हर तथ्य को स्वीकार किया जाये कि जो बीमार है उसे चंगा किया जाये, हरएक जन अपने पाप को स्वीकार करे क्योंकि ईश्वर की क्षमाशीलता क्रूस पर दी जा चुकी है जो उनके जीवन और दिल में प्रभावी हो।
संत अगुस्टीन लिखते हैं- ईश्वर आपके पापों की भर्त्सना करते हैं और यदि आप इसकी निन्दा करते हैं आप ईश्वर के साथ संयुक्त होते हैं। जब आप उनके प्रति घृणा करते हैं जिसे आपने किया है तब आप भला काम करना शुरू करते हैं क्योंकि यह आपके बुरे काम की निन्दा करती है। बुरे कृत्य को पहचानने के साथ ही अच्छा काम शुरू होता है।
कभी कभी मानव प्रकाश से अधिक अंधकार को चाहता है क्योंकि अपने पाप से उसकी आसक्ति है। लेकिन केवल प्रकाश के लिए स्वयं को खोलने से ही, खुले रूप से ईश्वर के सामने अपने अपराध स्वीकारने से ही, हम सच्ची शांति और सच्चा आनन्द पा सकते हैं। यह महत्वपूर्ण है कि नियमित रूप से पापस्वीकार संस्कार ग्रहण करें। विशेष रूप से चालीसाकाल में, ताकि प्रभु की क्षमा पा सकें और मनपरिवर्तन के पथ पर आगे बढ़ने को गति मिले।
प्रिय मित्रो, कल संत जोसेफ का पर्व है। मैं उन सबको हार्दिक धन्यवाद देता हूँ जो मेरे लिए प्रार्थना करते हैं विशेष रूप से मेरे नाम दिवस के संत के पर्व दिवस पर। विशेष रूप से मैं मेक्सिको और क्यूबा की प्रेरितिक यात्रा के लिए आपसे प्रार्थना करने का आग्रह करता हूँ जिसे मैं अगले शुक्रवार से आरम्भ करूँगा। हमारी याचना को धन्य कुँवारी माता मरिया की मध्यस्थता के सिपुर्द करता हूँ इन दोनों देशों में इनके प्रति बहुत श्रद्धा और स्नेह है जिनका मैं दौरा करनेवाला हूँ।
इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।








All the contents on this site are copyrighted ©.