मिश्र, 19 मार्च, 2012 (कैथन्यूज़) कोपटिक ऑर्थोडॉक्स कलीसिया के पैट्रियार्क शेनाउदा
तृतीय का निधन फेफड़े की लम्बी बीमारी से जूझने के बाद शनिवार 17 मार्च को हो गया। वे
88 वर्ष के थे। शेनाउदा ने अपने 40 साल के शासनकाल में पूरी दुनिया में कलीसिया के
विस्तार के लिये कार्य किया और मिश्र में ईसाइयों और मुसलमानों के बीच शांति के लिये
प्रयासरत रहे। मेना समाचार सूत्रों के अनुसार मध्यपूर्व के सबसे बड़े अल्पसंख्यक
ख्रीस्तीय दल के धर्मगुरु शेनाउदा की हालत शनिवार को उस समय बहुत ख़राब हो गयी जब उन्हें
दिल का गंभीर दौरा पड़ा। उनकी मृत्यु की ख़बर सुनते ही बड़ी संख्या में लोग संत मार्क
कथीड्रल के बाहर जमा हो गये और रात भर अपने दिवंगत धर्मगुरु को श्रद्धांजलि दी। बीबीसी
ससाचार सूत्रों के अनुसार 1 लाख से भी ज़्यादा लोगों ने रविवार को मिस्सा पूजा में भाग
लिया। परंपरा के अनुसार मिस्सा के दौरान दिवंगत पैट्रियार्क को, धर्मगुरू परिधान में
एक ‘पेपल चेयर’ में बैठाया गया था। कोपटिक कलीसिया के ईसाइयों को तीन दिन का अवकाश
दिया गया है ताकि वे पोप शेनाउदा के अंतिम क्रिया की तैयारी कर सकें। मालूम हो कि
कोपटिक ख्रीस्तीय मिश्र की कुल जनसंख्या 80 मिलियन के का 10 प्रतिशत है। यह समुदाय मध्यपूर्व
में सबसे पुराना, बड़ा और अल्पसंख्यक समुदाय है। संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने धर्मगुरु
शेनाउदा के लिये प्रार्थना चढ़ायी है। अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने शेनाउदा को
सहिष्णु और अंतरधार्मिक वार्ता का प्रबल समर्थक कहा है। शेनाउदा का जन्म अपर मिश्र
के में 3 अगस्त सन् 1923 को असुत में हुए था।वे सन् 1954 में एक मठवासी बने और सन् 1971
में नज़ीर गायेद से पैट्रियार्क शेनाउदा बन गये। पोप शेनाउदा पैट्रियार्क सिरिल के
उत्तराधिकारी थे। राष्ट्रपति अनवर सदात ने उन्हें सन् 1981 में उनका आंतरिक निष्कासन
कर दिया था पर चार साल के बाद राष्ट्रपति होसनी मुबारक ने उन्हें पुनः कैरो बुला लिया।