अल्पसंख्यकों के अधिकार मुददे पर महाधर्माध्यक्ष तोमासी का सम्बोधन
जिनिवा 15 मार्च 2012 (सेदोक, वी आर वर्ल्ड) जिनिवा स्थित संयुक्त राष्ट्रसंघीय कार्यालय
तथा अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों में परमधर्मपीठ (होली सी) के स्थायी पर्यवेक्षक महाधर्माध्यक्ष
सिल्वानो तोमासी ने अल्पसंख्यकों के अधिकार मुददे पर मानवाधिकार समिति की 19 वें सत्र
को 14 मार्च को सम्बोधित किया। उनका सम्बोधन राष्ट्रीय, जातीय, धार्मिक या भाषायी अल्पसंख्यकों
के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र संघ की उदघोषणा की 20 वीं वर्षगाँठ के अवसर पर सम्बोधित
था।
महाधर्माध्यक्ष तोमासी ने कहा कि सहनशीलता तथा परस्पर सम्मान की भावना, शैक्षणिक
प्रोग्राम जो संवाद करने की संस्कृति, शांति निर्माण, लोकतंत्र तथा बहुलवाद को समर्थन
देते हैं ये एक नयी शुरूआत को प्रोत्साहन दे सकते हैं जो अधिक शांतिमय भविष्य के लिए
मार्ग प्रशस्त कर सकता है जहाँ बहुसंख्यक या अल्पसंख्यक के रूप में वर्गीकरण किये बिना
ही ईश्वर प्रदत्त हमारी सामान्य मानवता के आधार पर हर व्यक्ति की मर्यादा का सम्मान किया
जायेगा।
वाटिकन रेडियो से बातचीत करते हुए महाधर्माध्यक्ष तोमासी ने कहा कि
यह अवसर है अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए यह अवसर है कि वह आलोचनात्मक नजरिये से देखे
कि अल्पसंख्यकों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है। उन्होंने और अधिक शांतिमय भविष्य
का पथ तैयार करने के लिए शिक्षा के महत्व पर जोर दिया।
महाधर्माध्यक्ष तोमासी
ने कहा कि अपने अधिकारों के बारे में अल्पसंख्यकों के मध्य सजगता बढ़ी है लेकिन इसके
साथ ही सरकारों तथा कुछ समूहों द्वारा उनके अधिकारों का हनन थमा नहीं है। इन समस्याओं
का कारण उदासीनता, समाज के हाशिये में डालने की राजनैतिक इच्छा, या जातीय धार्मिक या
भाषायी आधार पर भिन्न समुदायों को दबाने अथवा समाप्त करना है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार
के संचालन के लिए सबलोगों की वैध भागीदारी को बढ़ावा दिया जाना है तो क्षेत्र में रहनेवाले
सब नागरिकों को इसमें शामिल होने का अधिकार होना चाहिए। इस प्रकार की सहभागिता का फल
शांतिमय सहअस्तित्व, सामाजिक विकास तथा संघर्षों पर रोकथाम होगी।