न्यूयार्क 8 मार्च 2012 (यूएन) 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया। इस वर्ष
के दिवस का शीर्षक है- एमपावर रूरल वीमेन एंड हंगर एंड पोवर्टी अर्थात ग्रामीण महिलाओं
को सशक्त करें भूख और गरीबी को समाप्त करें। संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव बान
की मून ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्वसंध्या पर आयोजित एक समारोह में कहा कि ग्रामीण
महिलाओं और युवतियों की पीड़ा समाज की महिलाओं और लड़कियों को प्रतिबिम्बित करती है।
यदि संसाधनों पर समान अधिकार हो तथा वे भेदभाव और शोषण से मुक्त हों तो ग्रामीण महिलाओं
की क्षमता पूरे समाज की भलाई के स्तर में सुधार ला सकती है। बान की मून ने स्वीकार
किया कि व्यवसाय, सरकार, सार्वजनिक प्रशासन, राजनीति तथा अन्य पेशा में महिलाएँ पहले
से कहीं अधिक अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर रही हैं। इसके बावजूद अभी बहुत लम्बा सफर तय
करना है ताकि महिलाएं और बालिकाएं अपने बुनियादी अधिकारों, आजादी और प्रतिष्ठा का लाभ
उठा सकें जो उनका जन्मसिद्ध अधिकार है तथा जो उनके कल्याण को सुनिश्चित करे। उन्होंने
कहा कि वैश्विक आबादी का एक चौथाई ग्रामीण महिलाएँ एवं बालिकाएं हैं तथापि वे सब प्रकार
की आर्थिक, सामाजिक और राजनैतिक सूचकांक के निम्नतम स्तर पर हैं, आय, शिक्षा, स्वास्थ्य
सेवा तथा निर्णय प्रक्रिया में उनकी सहभागिता काफी कम है। ग्रामीण तथा कृषि क्षेत्र के
अवैतनिक सेवा कार्यों में उनका योगदान बहुत अधिक है। जिन देशों में महिलाओं को भूमि के
स्वामित्व का अधिकार नहीं है या जहाँ वे नकद राशि नहीं पा सकती हैं वहाँ कुपोषित बच्चों
की संख्या काफी बडी है। ग्रामीण महिलाओं का सशक्तिकरण कर विकास को बाधक करनेवाली त्रासदी
को समाप्त किया जा सकता है जो विश्व के लगभग 200 मिलियन बच्चों को प्रभावित करता है।
बान की मून ने सरकारों, नागरिक समाज तथा निजी क्षेत्र से आग्रह किया कि वे स्त्री-पुरूष
समानता तथा महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए अपने आप को समर्पित करें । उन्होंने कहा कि महिलाओं
तथा लड़कियों की शक्ति, क्षमता और ताकत मानवजाति की अब तक उपयोग में नहीं लायी गयी सबसे
कीमती नैसर्गिक संसाधन का प्रतिनिधित्व करती है। संयुक्त राष्ट्र संघ की लिंग समानता
तथा महिलाओं के सशक्तिकरण ईकाई की कार्यकारी निदेशक मिशेल बैचलेट ने कहा कि जलवायु परिवर्तन
से लेकर राजनैतिक और आर्थिक अस्थिरता तक विश्व की प्रमुख समस्याओं का समाधान विश्व की
महिलाओं की सहभागिता और उनके पूर्ण सशक्तिकरण के बिना नहीं हो सकेगा। लोकतंत्र और न्याय
के लिए राजनैतिक और आर्थिक क्षेत्र में महिलाओं की पूरी और समान सहभागिता निहायत जरूरी
है जिसकी लोग माँग कर रहे हैं। समान अधिकार और अवसरों की समानता स्वस्थ अर्थव्यवस्था
और स्वस्थ समाज के चिह्न हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ की मानवाधिकार संबंधी उच्चायुक्त
नवी पिल्लई ने अपने संदेश में सरकारों, सामुदायिक नेताओं तथा परिवारों के शीर्ष लोगों
से आग्रह किया कि महिलाओं की क्षमता को मान्यता देते हुए उपयोग में लाया जाये जो विश्व
भर में सकारात्मक प्रभाव डालेगा। उन्होंने कहा कि यह वैश्विक आह्वान है क्योंकि महिलाओं
की क्षमता का उपयोग करने में विफलता वैश्विक समस्या है। ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण,
विशेष रूप से राजनैतिक और आर्थिक मुददों पर होनेवाली निर्णय प्रक्रियाओं में महिलाओं
की सहभागिता पर विशेष जोर दिया गया ताकि भूख और गरीबी की समस्या के खिलाफ संघर्ष में
महिलाओं की क्षमता और योगदान का अधिक उपयोग किया जा सके।