2012-03-08 16:23:11

येसु धर्मसमाजी पर्यावरणविद ने होलिका दहन के लिए वृक्षों को काटे जाने की निन्दा की


पटना 8 मार्च 2012 (ऊकान) पटना में येसु धर्मसमाजी पर्यावरणविद फादर रोबर्ट अथिकल ने होली पर्व के अवसर पर होलिका दहन कार्यक्रम के लिए वृक्षों और डालियों को काटे जाने की निन्दा की है। बिहार की राजधानी पटना स्थित वृक्ष प्रेमी विद्यार्थियों के समूह " तरूमित्र " अर्थात वृक्षों के मित्र नामक पर्यावरण संरक्षण समूह के संस्थापक निदेशक ने कहा कि हम लोगों से अपील करते रहे हैं कि वे वृक्षों या उनकी डालियों को नहीं काटें। बिहार में होली या होलिका दहन अर्थात बुराई पर भलाई की जीत दिखाने वाले अनुष्ठान के लिए बड़ी मात्रा में वृक्षों या डालियों को काटा जाता है। वन कानूनों का उल्लंघन कर जंगलों से वृक्षों या लकड़ियों की कटाई करते हैं तथा वन विभाग और इसके अधिकारी इन घटनाओं को नजरअंदाज करते हैं। जंगलों और पर्यावरण की रक्षा के लिए समर्पित 58 वर्षीय पुरोहित फादर अथिकल ने कहा कि लोगों के ऐसे व्यवहारों से हरे भरे वृक्षों को गंभीर क्षति पहुंचती है। इस साल सबसे अधिक नुकसान पटना, गया और मुजफ्फरपुर जिसों में हुआ है। उन्होंने कहा कि वृक्ष न तो पुकार सकते हैं न ही न्याय माँग सकते हैं। हमारे स्वयंसेवी विद्यार्थी लोगों से आग्रह करते रहे हैं कि वृक्षों के बदले में कूड़ा करकट को जलायें। उन्होंने कहा कि लोगों को शिक्षित किये जाने की जरूरत है कि इस पर्व को मनाते समय वृक्षों को लक्ष्य न बनायें।
पर्यावरण कार्यकर्त्ता अशोक घोष ने फादर अथिकल के विचारों का समर्थन करते हुए कहा कि लोगों को वृक्षों या उनकी टहनियों को काटने का अधिकार नहीं है। होलिका दहन के लिए लकड़ियों को जलाया जाना कभी भी हमारी सदियों प्राचीन परम्परा का अंग नहीं रहा है। होलिका संकेत है जलाने का विशिष्ट रूप से अपशिष्ट या कचरे पदार्थों को जलाने का न कि हरे भरे वृक्षों को। यह सही समय है कि लोग पर्यावरण को बचाने के लिए अपनी मानसिकता बदलें।








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