वाटिकन सिटीः कार्डिनल कोरदेस की पुस्तक में सन्त पापा ने स्पष्ट किया ख्रीस्तीय जीवन
का मर्म
वाटिकन सिटी, 06 मार्च सन् 2012 (सेदोक): वाटिकन के उदारता कार्यों का समन्वय करनेवाली
परमधर्मपीठीय समिति "कोर ओनुम" के पूर्वाध्यक्ष, कार्डिनल पौल कोरदेस की, उदारता एवं
आध्यात्मिकता पर लिखी नई पुस्तक का प्राक्कथन सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने लिखा है।
इसमें सन्त पापा ने ख्रीस्तीय जीवन के मर्म को समझाया है। उन्होंने लिखा है कि भागीदारी
एकता को प्रेरित करती है इसलिये ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों को प्रभु ख्रीस्त का अनुसरण
करते हुए अपने हिस्से में से अन्यों को भी बाँटकर समुदाय में एकता का प्रयास करना चाहिये।
सन्त पापा लिखते हैं कि प्रेरित चरित ग्रन्थ में सन्त लूकस आरम्भिक कलीसियाई
समुदाय की चार विशिष्टताओं का वर्णन करते हैं, लिखते हैं: "नये विश्वासी दत्तचित्त होकर
प्रेरितों की शिक्षा सुना करते थे, भ्रातृत्व के निर्वाह में ईमानदार थे और प्रभु -भोज
तथा सामूहिक प्रार्थनाओं में नियमित रूप से शामिल हुआ करते थे।" और फिर, "वे सब मिलकर
प्रतिदिन मन्दिर जाया करते थे और निजी घरों में प्रभु-भोज में सम्मिलित होकर निष्कपट
हृदय से आनन्दपूर्वक एक साथ भोजन करते थे।" सन्त पापा ने कहा कि उनका प्रार्थनाओं में
नियमित रूप से एकत्र होना तथा एक साथ मिलकर भोजन करना ख्रीस्तीय जीवन का केन्द्रबिन्दु
है जो हमें प्रेरितों के साथ प्रभु येसु के भोजन की भी याद दिलाता है।
सन्त पापा
ने कहा, "अपनी दैनिक रोटी को अन्यों के साथ बाँटना एक अर्थपूर्ण कृत्य है जो समुदाय के
बीच मैत्री, सदभाव एवं एकता को प्रोत्साहित करता है। भागीदारी दान का एक सर्वोत्तम तरीका
है जो अतिथि को भी परिवार का हिस्सा बना देता है।" उन्होंने कहा कि इसी प्रकार की उदारता
ख्रीस्तीय जीवन को अर्थ प्रदान करती है तथा विश्व में प्रेम एवं मैत्री को प्रोत्साहन
देती है।
अपनी नई पुस्तक "मदद स्वर्ग से यू ही नहीं गिरती" में कार्डिनल पौल
कोरदेस ने काथलिक कलीसिया द्वारा विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में किये जा रहे कल्याणकारी
कार्यों पर अपने अनुभवों को लिखा है तथा कहा है कि स्वतः को मिले वरदानों में अन्यों
को भागीदार बनाने से व्यक्ति के मन में आध्यात्मिकता के फल प्रस्फुटित होते हैं।