वाटिकन सिटी, 27 फरवरी, 2012 (वीआर, रोम) संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने कहा, "कलीसिया
ऐसे दम्पतियों के साथ जो बांझपन का दुःख झेल रहे हैं उचित देख-भाल करना चाहती और इसीलिये
इस संबंध में चिकित्सा अनुसंधान को प्रोत्साहन देती है।"
संत पापा ने उक्त बातें
उस समय कहीं जब उन्होंने शनिवार 25 फरवरी को मानव जीवन के लिये बनी परमधर्मीपठीय अकाडेमी
के सदस्यों संबोधित किया।
विदित हो जीवन के लिये बनी परमधर्मपीठीय समिति की 18वीं
आम सभा रोम में 23 से 25 फरवरी तक आयोजित की गयी थी। इस सभा में विश्व के स्वास्थ्य,
वैज्ञानिक शोध, ईशशास्त्र और दर्शन शास्त्र के विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया ताकि बांझपन
के कारणों, प्रभावों और इसके निदान के उपाय खोजे जा सकें।
संत पापा ने कहा, "प्रजनन
की मानव और ख्रीस्तीय मर्यादा ‘उत्पाद’ (परिणाम) नहीं है, पर यह वैवाहिक संसर्ग, दम्पतियों
के प्रेम प्रकटन और उनका मिलन है जो न सिर्फ़ जैविक पर आध्यात्मिक भी है।"
उन्होंने
कहा, "ऐसा दृष्टिकोण इसलिये केवल नहीं अपनाया गया है कि दम्पति को शिशु दान मिले पर इसलिये
ताकि उन्हें प्रजनन शक्ति प्राप्त हो जिसमें वे पूरी मर्यादा के साथ अपने प्रजनन के निर्णय
के प्रति ज़िम्मेदार हों और नवशिशु के प्रजनन में ईश्वर के सह-सृष्टिकर्ता बन सकें।"
उन्होंने कहा, " बांझपन के निदान और चिकित्सा के लिये अनुसंधान करना उचित वैज्ञानिक
तरीका है, पर इससे जुड़ी मानवता का भी सम्मान किया जाना चाहिये जो इससे संलग्न है। वास्तव
में, नर और नारी का मिलन और प्रेममय जीवन का समुदाय जिसे हम विवाह के रूप में जानते हैं
वह उचित ‘स्थान’ है जहाँ नया मावव प्राणी अस्तित्व में आ सकता है और हमेशा एक उपहार बना
रहता है।"
संत पापा ने चेतावनी देते हुए कहा, "जब विज्ञान, दम्पतियों की इस
इच्छा की पूर्ति नहीं कर सकता है तो कई लोग कृत्रिम वीर्यरोपन के प्रलोभन में फँसते हैं,
जिसमें बांझपन के निदान हेतु मानव प्रजनन और वैज्ञानिकवाद के तर्क पर लाभ हावी होता नज़र
आता है और इस संबंध में किये जाने वाले संभवित अनुसंधानों को सीमित कर देता है।"
संत
पापा ने कहा, "जो दम्पति बांझपन का अनुभव करते हैं वे यह न समझें कि इससे उनके विवाह
की बुलाहट महत्वहीन हो गयी है। उन्हें चाहिये कि वे अपने बपतिस्मा और विवाह के बुलाहट
को महत्त्व देते हुए एक नयी मानवता के सृजन में सृष्टिकर्ता के साथ पूर्ण सहयोग करें।"
संत पापा ने कहा, "मैं अनुसंधान में लगे विद्वानों को इस बात के लिये प्रोत्साहन
देता हूँ कि वे अपने वैज्ञानिक खोज की यात्रा जारी रखें, जो बौद्धिक रूप से ईमानदार हो
और मानवहित को समर्पित विश्वास के साथ जुड़ी हो।
संत पापा ने विशेषज्ञों से कहा,
"मानव की चिकित्सा करते हुए इस प्रलोभन में ने फँसे कि बांझपन की समस्या तकनीकि मात्र
है। सत्य और भला के प्रति तटस्थ होना उचित वैज्ञानिक प्रगति के मार्ग के लिये घातक है।"