रोम धर्मप्रांत के पुरोहितों के साथ संत पापा की वार्षिक मुलाकात
वाटिकन सिटी 23 फरवरी 2012 (सेदोक, वीआर अंग्रेजी) रोम के धर्माध्यक्ष संत पापा बेनेडिक्ट
16 वें ने चालीसाकाल के आरम्भ में रोम धर्मप्रांत के पुरोहितों के साथ अपनी वार्षिक मुलाकात
गुरूवार 23 फरवरी को सम्पन्न की। संत पापा पौल षष्टम सभागार में सम्पन्न यह बैठक प्रेरित
संत पौलुस द्वारा एफेसियों को लिखे पत्र से लिये गये पाठ और चिंतन पर केन्दित रहा। प्रभु
के कारण कैदी बनाये गये जंजीरों में बंधे प्रेरित संत पौलुस एफेसियों से आग्रह करते हैं
कि वे अपने बुलावे के अनुसार दीनता और विनम्रता में जीवन जीयें, धैर्यपूर्वक प्रेम में
एक दूसरे को सहन करें तथा शांति के बंधन में एकता में रहें। एक शरीर और एक आत्मा है।
वे एक ही आशा में अपने बुलावे को एक प्रभु, एक विश्वास, एक बपतिस्मा, एक ही ईश्वर जो
सबके पिता हैं उनमें जीयें। ख्रीस्त के उपहार में प्रत्येक जन को ईश्वरीय कृपा मिली
है। संत पापा ने प्रेरित संत पौलुस के उक्त भावों को जो विभाजित मसीही समुदाय को
सम्बोधित था इसे पुरोहितों से अपनी प्रेरिताई क्षेत्र में लागू करने को कहा। उन्होंने
कहा कि पुरोहितों को अपनी बुलाहट के अनुसार बुलाया गया है तथा बपतिस्मा में मिले बुलावे
को गहन बनायें। संत पापा ने विनम्रता और भद्रता के महत्व पर जोर दिया ताकि सब विश्वासियों
के मध्य एकता का प्रसार हो। उन्होंने कहा कि विनम्रता एकता की कुँजी है। जंजीर में बंधे
कैदी संत पौलुस पीड़ा सह रहे सबलोगों के साथ सामुदायिकता की भावना में हमें ख्रीस्त की
पीड़ा में सहभागी होने का आह्वान करते हैं। मेषपाल और नबी के रूप में पुरोहितों को चाहिए
कि इस पवित्र चालीसाकाल में ख्रीस्त के दुखभोग और मृत्यु के द्वारा अपनी रेवड़ को पुनरूत्थान
की महिमा को ओर ले चलें ।