2012-02-22 12:18:14

वाटिकन सिटीः पेरु परमधर्मपीठीय विश्वविद्यालय से काथलिक अस्मिता को बरकरार रखने की मांग


वाटिकन सिटी, 22 फरवरी सन् 2012 (सेदोक): वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल तारचिसियो बेरतोने ने कहा है कि पेरु के परमधर्मपीठीय काथलिक विश्वविद्यालय को, विश्वविद्यालय एवं पेरु की काथलिक कलीसिया की भलाई के लिये वाटिकन नियमों के अनुरूप अपने मानदण्डों में संशोधन करना चाहिये। 21 फरवरी को कार्डिनल बेरतोने ने पेरु परमधर्मपीठीय काथलिक विद्यालय के प्राचार्य मारसियल रूबियो से मुलाकात की थी।

मुलाकात के बाद वाटिकन द्वारा जारी एक लिखित बयान में कहा गया कि विगत वर्षों के दौरान विश्वविद्यालय के प्राचार्य तथा लीमा के काथलिक धर्माधिपति कार्डिनल सिपरियानी के बीच हुई कई बैठकों के निष्कर्षों पर विचार विमर्श हेतु मुलाकात का आयोजन किया गया था। कार्डिनल बेरतोने ने विश्वविद्यालय के प्राचार्य रूबियो को विगत दिसम्बर माह में हंगरी के कार्डिनल पीटर एरदो की विश्वविद्यालयीन प्रेरितिक भेंट के निष्कर्षों से भी अवगत कराया।

वाटिकन का अनुरोध है कि परमधर्मपीठीय काथलिक विश्वविद्यालय का दर्ज़ा प्राप्त करने के नाते पेरु का विश्वविद्यालय जल्द से जल्द शिक्षण संस्थान की और साथ ही पेरु की कलीसिया की भलाई के लिये विश्वविद्यालय के नियमों में वाटिकन के प्रेरितिक संविधान "एक्स कोरदे एकलेज़िये" के अनुरूप संशोधन करे। "एक्स कोरदे एकलेज़िये" प्रेरितिक संविधान काथलिक कॉलेजो एवं विश्वविद्यालयों की पहचान एवं मिशन की रूपरेखा प्रस्तुत करता है तथा इनके अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिये सार्वभौमिक मानदंडों का प्रस्ताव करता है।

"एक्स कोरदे एकलेज़िये" प्रेरितिक संविधान धन्य सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय द्वारा सन् 1990 में जारी किया गया था जो सन् 2001 से प्रभावी हो गया है।

वाटिकन ने पेरु के विश्वविद्यालय को आठ अप्रैल तक का समय दिया है। कार्डिनल बेरतोने ने आशा व्यक्त की पेरु का विश्वविद्यालय वाटिकन द्वारा दिये संकेतों के आधार पर संशोधन करेगा ताकि विश्वविद्यालय युवाओं को, काथलिक कलीसिया की शिक्षाओं के अनुकूल, विश्वास में मूलबद्ध ठोस प्रशिक्षण देने में समर्थ बन सके।

लीमा के काथलिक धर्माधिपति कार्डिनल सिपरियानी ने सार्वजनिक तौर पर विश्वविद्यालय की कई गतिविधियों का विरोध किया है तथा कहा है कि किसी भी काथलिक संस्था को काथलिक कलीसिया की शिक्षाओं को ध्यान में रखकर समय समय पर अपना नैतिक मूल्यांकन करना चाहिये।









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