अतिवादी संगठनों के लिये काथलिक कलीसिया की प्रगति ‘एक खतरा’
वाटिकन सिटी, 20 फरवरी, 2012 (कैथन्यूज़) भारत के नये कार्डिनल सिरोमलाबार चर्च के अध्यक्ष
जोर्ज अलेन्चेरी ने कहा, "अतिवादी संगठन काथलिक कलीसिया की प्रगति को एक "आशंका" की नज़र
से देखते हुए ईसाइयों के अधिकारों के विरुद्ध सरकार को पैरवी की है। उकान को दिये
एक साक्षात्कार में नये कार्डिनल अलेन्चेरी ने कहा, "मैं इस बात की तलाश कर रहा हूँ कि
सार्वव्यापक काथलिक कलीसिया की सेवा कैसे कर सकता हूँ। भारतीय काथलिक कलीसिया के
बारे में उन्होंने कहा कि भारत की काथलिक कलीसिया अल्पसंख्यक है फिर भी उनका विश्वास
सुदृढ़ है और वे अपने विश्वास की रक्षा के लिये कोई भी कीमत चुकाने से पीछे नहीं हटेंगे।
कार्डिनल जोर्ज ने कहा कि भारत में अतिवादियों की संख्या भी अल्प है पर उन्होंने
अल्पसंख्यकों पर अपना आक्रमण जारी रखा है। कार्डिनल ने राजनीतिक पार्टियों को चेतावनी
दी कि वे वोट के लिये अतिवादियों को बढ़ावा देने से बचें। उन्होंने कहा कि भारत के
अधिकतर हिन्दु मेल-मिलाप और शांति के साथ जीवन बिताते हैं और ख्रीस्तीयों के साथ सद्व्यवहार
करते हैं इसलिये हिन्दु धर्म को असहिष्णु कहना उचित नहीं है। भारत का संविधान धार्मिक
स्वतंत्रता की गारंटी देता है पर कई बार तथाकथित राजनीतिक पार्टियाँ धार्मिक तनाव को
बढ़ावा देते हैं ताकि उन्हें वोट मिल सके। नये कार्डिनल अलेनचेरी ने कहा कि ख्रीस्तीय
समुदाय में कोई असमानता नहीं है पर आर्थिक असमानता को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
उनका मानना है कि चूँकि सामाजिक रूप से पिछड़े लोगों के ख्रीस्तीय धर्म में आने से
उन्हें समान अधिकार प्राप्त हो जाता है इसलिये अधिक लोगों के ख्रीस्तीय बनने की संभावना
बढ़ जाती है और इस तरह यह बहुसंख्यकों के लिये एक चुनौती है। इसलिये कई लोग ईसाई धर्म
को आशंका की दृष्टि से देखते हैं।