बुधवारीय-आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा का संदेश 15 फरवरी, 2012
वाटिकन सिटी, 15 फरवरी, 2012 (सेदोक, वी.आर) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत
पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने वाटिकन स्थिति संत पौल षष्टम् सभागार में देश-विदेश से एकत्रित
हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया। उन्होंने अंग्रेजी
भाषा में कहा-मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, आज की धर्मशिक्षामाला में ‘प्रार्थना’ विषय
पर चिन्तन जारी रखते हुए हम येसु के उन अंतिम दिव्य वचनों पर चिन्तन करें जिन्हें येसु
ने क्रूस पर से कहीं थी। क्रूस पर टंगे येसु ने पिता ईश्वर से प्रार्थना करते हुए
कहा था, "हे पिता उन्हें क्षमा कर क्योंकि वे नहीं जानते कि वे क्या कर रहे हैं।"(लूकस,23:34)।
क्रूसित करने वालों के लिये प्रार्थना करते हुए येसु इस बात को दिखलाते हैं कि उनका
क्षमनीय प्रेम पाप में लिप्त मानवता के लिये अपार है। क्रूस में टंगे भले डाकू को
येसु ने कहा था, "तुम आज ही मेरे साथ स्वर्ग में होगे (लूकस,23:43) जो यह दिखाता है वे
निश्चिय ही पुरस्कृत करेंगे जो पश्चात्ताप करते और येसु पर अपना भरोसा करते हैं। मृत्यु
के पूर्व येसु ने चिल्ला कर कहा था, "पिता, आपके हाथों में मैं अपनी आत्मा को सौंप देता
हूँ।"(23:46) जिसके द्वारा उन्होंने यह दिखलाया कि वे पिता की इच्छा के प्रति वे समर्पित
है। येसु की यह प्रार्थना इस बात को स्पष्ट करती है कि येसु का पिता ईश्वर के साथ
कितना गहरा संबंध रहा और इसी संबंध ने उसके प्रार्थनामय जीवन को मजबूत किया था। क्रूस
पर से ही येसु हमें बैरियों को क्षमा देना, प्रेम करन और पश्चात्ताप के लिये प्रार्थना
करना सिखाते हैं । वे इस बात को भी बतलाते हैं कि हम पूरे जीवन में आने वाले दुःखों को
पूरी आस्था से पिता ईश्वर के हाथों में तब तक सौंपते रहें जब तक तक एक दिन वे स्वर्ग
में हमारा आलिंगन न कर लें।
इतना कहकर संत पापा ने अपना संदेश समाप्त
किया।
उन्होंने इंगलैंड, आयरलैंड, नॉर्वे, अमेरिका और टोरोन्तो से आये तीर्थयात्रियों,
पोन्टिफिकल नॉर्थ अमेरिकन कॉलेज तथा स्कॉटलैंड के विद्यार्थियो, उपस्थित लोगों एवं उनके
परिवार के सभी सदस्यों पर प्रभु की कृपा, प्रेम और शांति की कामना करते हुए उन्हें अपना
प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।