मंगलोर, 13 फरवरी, 2012(कैथन्यूज़) मुम्बई के महाधर्माध्यक्ष और सीबीसीआइ के अध्यक्ष
कार्डिनल ऑस्वाल्ड ग्रेशियस ने मंगलोर धर्मप्रांत की 125वीं जयन्ती पर इसके सेवा कार्यों
की सराहना करते हुए कहा, "मंगलोर धर्मप्रांत की 125 वर्षीय जुबिली एक बहुत बड़ी ‘सफलता’
है पर "सफलता एक यात्रा है मंजिल नहीं।" विदित हो कि 12 फरवरी, रविवार को ‘पूर्व का
वाटिकन’ कहे जाने वाले मंगलोर शहर के नेहरु मैदान में आयोजित जुबिली समारोह में भारत
में वाटिकन के प्रेरितिक राजदूत महाधर्मध्यक्ष साल्वातोरे पेन्नाकियो, 25 धर्माध्यक्षों
और 300 पुरोहितों सहित करीब 50 हज़ार लोगों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर कार्डिनल ग्रेशियस
ने कहा कि मंगलोर धर्मप्रांत देश के साथ पूरे विश्व का गौरव है जिसने विकास के क्षेत्र
में उल्लेखनीय पहल किये हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अपोस्तोलिक नुनसिया
महाधर्माध्यक्ष साल्वातोर ने कहा, "धर्मप्रांत ने स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, समाज-कल्याण
और अभियांत्रिकी या इंजीनियरिंग के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिये हैं। वाटिकन
प्रतिनिधि और जुबिली समारोह के विशिष्ट अतिथि, सुसमाचार प्रचार के लिये बनी परमधर्मीठीय
समिति के सचिव महाधर्माध्यक्ष सावियो होन ताई-फाई कहा,"वे इस बात का साक्ष्य दे सकते
हैं कि येसु उस विशाल जनसमूह में उपस्थित हैं।" समारोह में उपस्थित कर्नाटक के मुख्यमंत्री
डी.वी सदानन्द गौडा ने कहा कि राज्य सरकार ईसाइयों के विकास के लिये 500 मिलियन की राशि
और अन्य सहायता देने का वचन देती है। केन्द्रीय मंत्री एम वीराप्पा मोइली ने कहा,
"चाहे उत्तर या दक्षिण भारत में मैं जहाँ भी जाता हूँ एक पुरोहित को ग़रीबों की सेवा
करते हुए पाता हूँ।" समारोह में वाटिकन प्रतिनिधि ने उपस्थित 24 धर्माध्यक्षों को
सम्मानित किया 300 कलाकारों ने ‘चैतन्योदया’ नामक एक नृत्य प्रस्तुत किया जिसमें धर्मप्रांत
को समृद्ध ऐतिहासिक विकास को दर्शाया गया था। विदित हो कि कलीसिया और राष्ट्र को
मंगलोर धर्मप्रांत ने 42 धर्माध्यक्षों और करीब 4 हज़ार धर्मसमाजी प्रदान किये हैं।