देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें द्वारा दिया
गया संदेश
वाटिकन सिटी 13 फरवरी 2012 (सेदोक, एशिया न्यूज ) संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने रविवार
12 फरवरी को संत पेत्रुस बासिलिका के प्रांगण में देश विदेश से आये तीर्थयात्रियों और
पर्यटकों को देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व सम्बोधित किया। उन्होंने इताली
भाषा में सम्बोधित करते हुए कहा- अतिप्रिय भाईयो और बहनो, पिछले रविवार को हमने
देखा कि येसु अपने सार्वजनिक जीवन में अनेक बीमार लोगों को चंगा किये, वे मानव जीवन के
लिए ईश्वर की इच्छा को प्रकट करते तथा बहुतायत में जीवन देते हैं। इस रविवार के सुसमाचार
में येसु हमें दिखाते हैं कि बीमारी जो तात्कालीन समय में सबसे गंभीर बीमारी समझी जाती
थी व्यक्ति को अशुद्ध बनाती तथा सामाजिक संबंधों से अलग कर देती थी। हम कुष्ठ रोग के
बारे में कह रहे हैं। एक विशेष संहिता थी जिसके तहत याजक को अधिकार था कि वे कुष्ठ रोगी
के बारे में घोषणा कर उसे अशुद्ध करार देते थे और याजक को ही अधिकार था कि रोग मुक्त
होने पर मरीज के चंगा होने की घोषणा करें तथा सामान्य जीवन में उसके पुर्नवास के लिए
स्वीकृति प्रदान करें। जब येसु गलीलिया के गाँवों में उपदेश दे रहे थे तो एक कुष्ठ
रोगी उसके पास आया और कहा- यदि आप चाहते हैं तो मुझे शुद्ध कर सकते हैं। येसु इस व्यक्ति
के संपर्क से परहेज नहीं करते हैं वस्तुतः उसकी परिस्थिति में आंतरिक रूप से शामिल होकर
अपना हाथ बढाकर उसका स्पर्श करते हैं- संहिता के द्वारा लागू किये गये प्रतिबंध पर विजय
प्राप्त करते हुए कहते हैं- मैं यही चाहता हूँ - शुद्ध हो जाओ। उस संकेत और येसु के शब्दों
में ही मुक्ति का इतिहास है इसमें ईश्वर की इच्छा निहित है चंगा करने, बुराई से शुद्ध
करने में जो कि हमें विकृत करती तथा हमारे संबंध को नष्ट करती है। येसु के हाथ और कुष्ठ
रोगी के उस स्पर्श ने सब बाधाओं को गिरा दिया जो ईश्वर और मनुष्य की अशुद्धियों के मध्य,
पवित्र और अपवित्र के मध्य है। वे बुराई और इसकी नकारात्मक शक्तियों से इंकार किये बिना
ही हमें दिखाते हैं कि ईश्वर का प्रेम किसी भी प्रकार की बुराई से यहाँ तक कि सबसे अधिक
संक्रामक और भयानक बीमारी से भी अधिक शक्तिशाली है। येसु ने अपने ऊपर हमारी कमजोरियों
को ले लिया, कुष्ठ रोगी बने ताकि हम शुद्ध हों। इस सुसमाचार पर एक विस्मयकारी टिप्पणी
है असीसी के संत फ्रांसिस के अस्तित्व संबंधी अनुभव में जिसे वे अपने साक्ष्य के शुरू
में वर्णित करते हैं- प्रभु ने मुझे बंधु फ्रांसिस को इस प्रकार से तपस्या करने का रास्ता
दिया- जब मैं पाप में था कुष्ठ रोगियों को देखना मुझे बहुत कड़ुवा महसूस हुआ और प्रभु
स्वयं मुझे उनके मध्य ले चले और मैंने उनके प्रति दया दिखायी। और जब मैं उनको छोड़ा तब
जो कड़ुवा प्रतीत होता था वह आत्मा और शरीर की मधुरता में बदल गया था। और तब मैं कुछ
समय के लिए रूका और इस संसार से प्रस्थान किया। वे कुष्ठ रोगी जो फ्रांसिस से मिले और
जब वे पाप में थे कहते हैं येसु उपस्थित थे और जब फ्रांसिस उन्में से एक के पास पहुँचे
और अपनी वीभत्स प्रतिक्रिया पर विजय पाकर, कुष्ठ रोगी को गले लगाया येसु ने उसे उसकी
कुष्ठ बीमारी अर्थात उसके घमंड से चंगा किया और उसे ईश्वर के प्रेम में परिवर्तित कर
दिया जो ख्रीस्त की विजय है, यह हमारी गहन चंगाई है और नये जीवन में हमारा पुनरूत्थान
है। प्रिय मित्रो, हम प्रार्थना में कुँवारी माता मरिया की ओर मुखातिब हों जिनका
समारोही स्मरण हमने लूर्द में उनके दर्शन देने की स्मृति में कल किया। संत बेर्नादेत्त
को कुँवारी माता मरियम ने समयातीत संदेश दिया- प्रार्थना और तपस्या करने का बुलावा। येसु
अपनी माता के द्वारा हमेशा हमारे पास आते हैं ताकि हमें शरीर और आत्मा की सब बीमारियों
से मुक्त कर सकें। हम उनका स्पर्श करें और शुद्ध हों तथा अपने भाईयों के प्रति उदारता
दिखायें। इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया और सबको
अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।