अफ्रीकी और यूरोपीय धर्माध्यक्षों की द्वितीय विचार गोष्ठी
रोम, 13 फरवरी, 2012(एजेन्सिया फिदेस) अफ्रीकी और यूरोपीय धर्माध्यक्षों की द्वितीय विचार
गोष्ठी 13 फरवरी को रोम में आरंभ हो गयी है जिसकी विषयवस्तु है - "सुसमाचार आजः अफ्रीका
और यूरोपीय धर्माध्यक्षों का मेषपालीय सहयोग एवं एकता।" सभा में मानव और ईश्वर, चर्च
का मिशन ईश्वरीय उपस्थिति और प्रेम के प्रचार करने आदि के बारे में भी विचार-विमर्श
किये जायेंगे।
विचार गोष्ठी का उद्घाटन संयुक्त रूप से अफ्रीका और मडागास्कर के
धर्माध्यक्षीय समिति (एसइसीएएम) के अध्यक्ष कार्डिनल पोलीकार्प पेंगो और यूरोपीय धर्माध्यक्षीय
समति (सीसीइइ) के उप अध्यक्ष कार्डिनल अन्येलो बान्यास्को ने किया
कार्यक्रम के
अनुसार शांति और न्याय के लिये बनी परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष कार्डिनल के.ए. तुर्कसन
‘अफ्रीकाए मुनुस’ नामक पोस्ट सिनोदल प्रेरितिक प्रोत्साहन प्रस्तुत किया।
सभा
के आरंभ में ही ‘सेकाम’ के उपाध्यक्ष कार्डिनल थियोदोर अडरियेन सार और ‘सीसीइइ’ के पूर्व
उपाध्यक्ष जोसिप बोज़ानिक ने पूर्वायोजित सभाओं की प्रगति और चुनौतियों का एक व्यौरा
प्रस्तुत किया।
उन्होंने सभा के भाग ले रहे प्रतिनिधियों को विचारगोष्ठी की
भविष्य कार्ययोजना के बारे में भी जानकारी दी।
विदित हो कि दोनों कार्डिनल सन्
2004 से ही दोनों महादेशों की सहयोग-प्रक्रिया से जुड़े रहे हैं।
‘अजेन्सिया
फीदेस’ के अनुसार पाँच दिवसीय विचार-गोष्ठी में अफ्रीका और यूरोप में सुसमाचार प्रचार,
ईशशास्त्रीय एवं समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण, विश्वासी, अविश्वासी, येसु का व्यक्तिगत अनुभव
और परिवर्तन आदि विषयों पर भी चर्चा की जायेगी।
सेमिनार में युवाओं, परिवारों
और पल्लियों तथा धर्मप्रांतों के बीच आपसी तालमेल के बारे में अफ्रीकी और यूरोपयीय धर्माध्यक्षों
द्वारा उठाये जाने वाले कुछ ठोस कदमों पर भी निर्णय लिये जायेंगे।
विचार गोष्ठी
का समापन 17 फरवरी को मनोप्पेल्लो के ‘होली फेस’ अर्थात् ‘पवित्र चेहरा’ की तीर्थयात्रा
से सम्पन्न हो जायेगा।