सुप्रीम कोर्ट बलात्कार पीड़िता नन के मामले की जाँच करेगी
भुवनेश्वर, उड़ीसा, 11 फरवरी, 2012(कैथन्यूज़) सन् 2008 में उड़ीसा में हुए ईसाइविरोधी
हिंसा के दौरान सामुहिक बलात्कार की पीड़िता कैथोलिक नन के निवेदन पर अब सुप्रीम कोर्ट
निचले कोर्ट के न्यायधीश के द्वारा तथ्यों की ‘ग़लत प्रस्तुति’ का ‘क्रॉस एक्ज़ामिनेशन’
करेगी। न्यायधीश अल्तमस कबीर और चलामेश्वर की अध्यक्षता वाली शाखा ने अगली सुनवाई
13 फरवरी, 2012 निर्धारित की है। कैथोलिक नन के एक वकील मनस रंजन सिंह ने बतलाया
कि उन्हें सर्वोच्च न्यायालय की अनुमति के लिये एक विशेष आवेदन देना पड़ा ताकि वह उड़ीसा
उच्च न्यायालय के उस निर्णय को चुनौती दे जिसमें कोर्ट ने सबडिविज़नल जूडिशियल मजिस्ट्रेट
प्रशांत कुमार दास के ‘क्रॉस जाँच’ को ख़ारिज़ कर दिया था। विदित हो कि प्रशांत कुमार
दास ने बलात्कार के अभियुक्त की पहचान के लिये ‘टीआई परेड’ कराया और नन ने संतोष पटनायक
की पहचान की थी। पर दास ने ‘ग़लती और बुरे इरादे से’ यह रिपोर्ट बनाया था कि कथित अभियुक्त
ने नन को थप्पड़ मारा और उसके साथ बुरा सलुक किया था पर अधिनियमों का कोई खुला उल्लंघन
नहीं किया। मनस रंजन सिंह ने कहा कि जुडिशियल मजिस्ट्रेट का ऐसा करना "तथ्यों की
ग़लत प्रस्तुति" है। नन के वकील सिंह ने कहा कि उन्होंने इसी कार्य के लिये ट्रायल
कोर्ट से अपील की थी पर उनके निवेदन को इस आधार पर अस्वीकार कर दिया गया था कि यह मामला
सरकार के द्वारा दायर किया गया था और शिकायतकर्ता ने इसकी माँग नहीं की थी। उधर सर्वोच्च
न्यायालय ने राज्य सरकार के स्थायी वकील को भी 13 तारीख़ को होने वाली सुनवाई में उपस्थित
रहने की सूचना भेजी है। भुवनेश्वर में कार्यरत समाजिक कार्यकर्ता सिस्टर जस्टिन सेनापति
ने सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का स्वागत किया है क्योंकि इसके पूर्व राज्य सरकार हाई कोर्ट
में मामले को दर्ज़ करने से भी कतरा रही थी। उन्होंने यह भी कहा कि न्याय साम्प्रदायिक
हिंसा से पीड़ित लोगों के लिये एक सपना बन गया है। विदित हो सन् 2008 में हुए साम्प्रदायिक
हिंसा के दौरान 25 अगस्त को कंधमाल में नन पर हमला किया गया, बलात्कार किया गया और कंधमाल
की सड़कों में अर्द्धनग्न घुमाया गया था।