2012-02-09 16:26:36

पश्चाताप धर्मविधि की अध्यक्षता कार्डिनल ओलेट ने की


रोम 9 फरवरी 2012 (वीआर अँग्रेजी) धर्माध्यक्षों के धर्मसंघ के अध्यक्ष कार्डिनल माक ओलेट ने बाल यौन दुराचार की समस्या पर आयोजित 4 दिवसीय अंतरराष्ट्रिय सम्मेलन के तहत आयोजित पश्चाताप धर्मविधि की अध्यक्षता की । अंधेरा से प्रकाश, दुःख और घायलावस्था से चंगाई और आशा की ओर बढ़ना यही इस धर्मविधि का सांकेतिक भाव था। 6 से 9 फरवरी तक सम्पन्न इस सम्मेलन का आयोजक येसुसमाजियों द्वारा संचालित परमधर्मपीठीय ग्रेगोरियन विश्वविद्यालय रहा है अतः पूजनविधि का आयोजन बारोक शैली में निर्मित रोम स्थित संत इग्नासियुस चर्च में किया गया जिसमें धर्माध्यक्षों पुरोहितों और लोकधर्मियों ने भाग लिया।

चर्च में एक स्क्रीन में ईश्वर की सृष्टि का सौंदर्य, प्रकृति और नया जीवन की छवियाँ, विभिन्न देशों और संस्कृतियों के बच्चों की तस्वीरों को दर्शाया गया इसके साथ ही दूसरी ओर मानव द्वारा पर्यावरण का विनाश करना, लालच और हिंसा, नस्लवाद और संघर्षों वाले स्लाइड दिखाये गये जो स्मरण कराते हैं कि क्षमा की जरूरत है।

अपने प्रवचन में कार्डिनल औलेट यौन दुराचार की अपर्कीर्ति और अपयश के बारे में कहा कि यह अपराध है जो निर्दोष भुक्तभोगियों के लिए मृत्यु का भाव उत्पन्न करता है। उन्होंने कलीसियाई अधिकारियों के पाप के बारे में भी कहा जो बहुधा जानते थे कि उनके पुरोहित क्या कर रहे हैं तथा वे दुराचार को रोकने में विफल रहे। हिंसा और दुराचार के ये मामले यदा कदा वैसे लोगों द्वारा किये गये जो बहुत बाधित थे या जो स्वयं दुराचार का शिकार हुए थे। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि वैसे उपाय और कदम उठाये जायें जो उन्हें उन प्रेरिताई से दूर रखे जिसके लिए वे उपयुक्त नहीं हैं। यह काम सदैव उचित तरीके से नहीं किया गया और इसके लिए पीडितों से क्षमा याचना करते हैं।

धर्मविधि में क्षमायाचना के क्रम में सात वर्गों के प्रतिनिधियों ने ईश्वर से क्षमा याचना के लिए निवेदन किया। इसमें शामिल थे एक शिक्षक, धर्मसमाजी सुपीरियर, एक अभिभावक, एक लोकधर्मी, एक पुरोहित, एक कार्डिनल तथा दुराचार की शिकार एक भुक्त भोगी, आयरलैंड वासी मारि कोलिसं जिसने सम्मेलन को सम्बोधित किया था। उन्होंने कहा कि क्षमा देना कितना कठिन है तथा जिन्होंने पाप किया है उन्हें क्षमा देने के लिए ईश्वर से शक्ति की याचना करें। इन सातों समूहों के प्रतिनिधियों ने मोमबत्ती जलाकर क्रूस के चरणों में रखा तथा सबने मिलकर चंगाई, दया और आशा के लिए प्रार्थना अर्पित किया ताकि यौन दुराचार के पाप फिर कदापि नहीं हों।








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