बंगलोर 9 फरवरी 2012 (ऊकान) भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के धर्माध्यक्षों की
द्विवर्षीय वार्षिक आमसभा का समापन बुधवार को हुआ। बंगलोर के चिकित्सा विज्ञान संबंधी
संत जोन नेशनल अकादमी में 1 से 8 फरवरी तक सम्पन्न आमसभा में लगभग 161 धर्माध्यक्षों
तथा सीबीसीआई के 20 अधिकारियों ने भाग लिया।
" बेहतर भारत के लिए कलीसिया की
भूमिका " शार्षक से सम्पन्न आमसभा के अंत में धर्माध्यक्षों ने निर्धनों और समाज के
वंचित तबतों का एडवोकेट बनने का संकल्प व्यक्त किया है। आमसभा के बाद जारी वक्तव्य में
कहा गया है कि कलीसिया बेजुबानों की जुबान बनने का प्रयत्न करेगी। धर्माध्यक्षों ने कहा
कि बेहतर भारत के लिए देश की चाह को उन्होंने महसूस किया है जहाँ भूमंडलीकरण ने आर्थिक
और तकनीकि प्रगति के बावजूद देशवासियों के मिशन को विफल किया है। निर्धन और वंचित तबके
छले गये हैं तथा मानवाधिकारों के हनन और महिलाओं, जनजातीय समुदायों, दलितों और अन्य समूहों
के खिलाफ अत्याचार के मामलों पर कलीसिया को पर्याप्त रूप से वे संवेदनशील नहीं कर पाये
हैं। वे अमानवीय तथा घोर गरीबी में जीवन जी रहे हैं। धर्माध्यक्षों ने कहा है कि
सरल जीवन शैली अपनाकर घोर उपभोक्तावादी प्रवृति का सामना करने के लिए लोगों को उत्साहित
करेंगे तथा कलीसिया के अंदर भी किसी भी प्रकार के भेदभाव और भ्रष्टाचार का उन्मूलन करेंगे
एवं कलीसिया को और अधिक पारदर्शी और जिम्मेदार बनायेंगे। उन्होंने यह भी संकल्प व्यक्त
किया कि कलीसिया की शिक्षण संस्थानों के नेटवर्क सामाजिक परिवर्तन के एजेंट बनेंगे तथा
नागरिकों को ईमानदारी तथा निष्ठापूर्वक देश की सेवा करने के लिए तैयार करेंगे। उन्होंने
कहा कि बेहतर भारत के लिए कलीसिया को भी स्वयं बेहतर बनना होगा। वे वनों की कटाई, लोगों
के विस्थापन तथा प्राकृतिक संसाधनों के प्रदूषण को रोकने के लिए अगुवाई करेंगे।