2012-02-08 11:39:52

मुम्बईः मानव विकास हेतु कलीसिया का संघर्ष चरमपंथियों को भयभीत करता है, कार्डिनल ग्रेशियस


मुम्बई, 08 फरवरी सन् 2012 (एशियान्यूज़): मुम्बई के काथलिक धर्माधिपति कार्डिनल ऑस्वर्ल्ड ग्रेशियस ने कहा है कि मानव विकास हेतु कलीसिया का संघर्ष चरमपंथियों को भयभीत करता है।

बैंगलोर में पहली फरवरी से आठ फरवरी तक जारी भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षों की 30 वीं आम सभा के बारे में रोम स्थित एशिया समाचार एजेन्सी से बातचीत में कार्डिनल ग्रशियस ने कहा कि चरमपंथी, काथलिक कलीसिया के मानव विकास कार्यों से डरते हैं।

उन्होंने कहा, "जब कलीसिया उपस्थित निकाय में व्याप्त अन्यायों का विरोध करती, लोगों को स्वतंत्र करती तथा उनकी पीड़ा को हरने का अथक प्रयास करती है तब वह चरमपंथी दलों के लिये एक ख़तरा बन जाती है, जो हिंसक आक्रमणों द्वारा कलीसिया के कार्यों का विरोध करते हैं।"

30 वीं आम सभा में चर्चित, "बेहतर भारत के लिये कलीसिया की भूमिका" विषय पर बोलते हुए कार्डिनल महोदय ने कहा, "भारत का अखण्ड और अभिन्न भाग होने के नाते काथलिक कलीसिया को सामाजिक विकास एवं मानव रूपान्तरण के हर क्षेत्र के साथ संलग्न रहना चाहिये।" उन्होंने कहा, "पूर्णता में जीवन का अर्थ है कि प्रत्येक मानव प्राणी सब प्रकार के दमन और अमानवीय स्थितियों से मुक्त है तथा प्रत्येक के साथ प्रतिष्ठापूर्ण व्यवहार किया जाना अनिवार्य है।"

भारत में ख्रीस्तीयों के विरुद्ध अनवरत जारी आक्रमणों पर टीका कर कार्डिनल ग्रेशियस ने कहा, "निर्धनों एनं ज़रूरतमन्दों के सामाजिक रूपान्तरण तथा उनके सशक्तिकरण हेतु काथलिक कलीसिया के कार्यों में प्रभु येसु मसीह के सुसमाचार की ज्योति स्पष्टतः दृश्यमान है।" उन्होंने कहा कि कलीसिया के यही कार्य चरमपंथियों में बेचैनी का कारण बने हैं जिन्होंने निराधार एवं मनगढ़न्त धर्मान्तरण के आरोप लगाकर तथा कलीसियाई संस्थाओं एवं कार्यकर्त्ताओं पर हमले कर अपनी प्रतिक्रियाएँ दर्शाई हैं।

कार्डिनल ग्रेशियस ने स्मरण दिलाया कि यद्यपि भारत में काथलिक धर्मानुयायियों की संख्या तीन प्रतिशत से अधिक नहीं है तथापि अपने स्कूलों, कॉलेजों एवं अन्य प्रशिक्षण संस्थानों द्वारा उन्होंने देश के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कार्डिनल महोदय ने कहा, "हम सार्वजनिक जीवन तथा अर्थव्यवस्था में नैतिकता लाने हेतु वचनबद्ध हैं।"








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