भोपालः ब्रह्मचर्य पर धर्मप्रान्तीय पुरोहितों में विचार विमर्श
भोपाल, 08 फरवरी सन् 2012 (ऊका): भोपाल में बुधवार आठ फरवरी से लगभग 100 धर्मप्रान्तीय
पुरोहित ब्रह्मचर्य पर तीन दिवसीय विचार-विमर्श हेतु एकत्र हुए।
विचार विमर्श
के प्रतिभागी पुरोहितों को सम्बोधित कर भोपाल के सेवानिवृत्त महाधर्माध्यक्ष पास्कल टोपनो
ने कहा कि धर्मप्रान्तीय पुरोहित कलीसिया के यथार्थ नेता हैं और इसी के अनुकूल उन्हें
ईश राज्य के प्रचार प्रसार हेतु कार्य करना चाहिये।
महाधर्माध्यक्ष ने कहा, "ब्रह्मचर्य
शिष्य अवस्था की सर्वोच्च अभिव्यक्ति है और यही ख्रीस्त के साथ स्वतः को संयुक्त रखने
की शक्ति का स्रोत भी है।"
इससे पूर्व विचार विमर्श का उदघाटन करते हुए धर्मप्रान्तीय
पुरोहितों के संगठन के अध्यक्ष फादर फ्राँसिस स्कारिया ने कहा कि यह संगठन धर्मप्रान्तीय
पुरोहितों की आवाज़ है। तथापि, उन्होंने इस बात पर गहन चिन्ता व्यक्त की कि पुरोहितों
में व्यर्थ ही प्रतिस्पर्धा की भावना प्रबल हो रही है। उन्होंने काथलिक पुरोहितों से
आग्रह किया कि वे अपनी अपनी व्यक्तिगत रुचियों से परे जायें तथा स्वार्थ का परित्याग
कर कलीसिया तथा उसके मूल्यों के प्रति समर्पित रहें।
मध्यप्रदेश के काथलिक धर्माध्यक्षों
द्वारा धर्मप्रान्तीय पुरोहितों के संगठन सी.डी.पी.आय. के प्रति दर्शाये विरोध के बाद,
धर्मप्रान्तीय पुरोहितों के बीच उक्त विचार विमर्श अर्थपूर्ण हो उठा है। सी.डी.पी.आय.
ने धर्माध्यक्षों से पुरोहितों के लिये प्रतिष्ठावान पारिश्रमिक की मांग की थी तथा पुरोहितों
के स्थानान्तर की नीतियों में भी बदलाव का आग्रह किया था।
मध्यप्रदेश के धर्मप्रान्तीय
पुरोहितों के संगठन का उक्त विचार विमर्श, संगठन की, पहली आम सभा भी है।