बुधवारीय-आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा का संदेश 8 फरवरी, 2012
वाटिकन सिटी, 8 फरवरी, 2012 (सेदोक, वी.आर) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा
बेनेदिक्त सोलहवें ने वाटिकन स्थिति संत पौल षष्टम् सभागार में देश-विदेश से एकत्रित
हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया।
उन्होंने अंग्रेजी
भाषा में कहा-मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, आज की धर्मशिक्षामाला में ‘प्रार्थना’ विषय
पर चिन्तन जारी रखते हुए हम उस पुकार पर चिन्तन करें जिसे येसु ने क्रूस पर से की थी।
क्रूस पर टंगे येसु ने कहा था, "मेरे प्रभु ! मेरे ईश्वर ! तूने मुझे क्यों
त्याग दिया है?" येसु ने उस वेदना की अभिव्यक्ति उस समय की जब उन्होंने तीन घंटों तक
गेतसेमानी बारी में असहाय कष्ट झेला और दुनिया में अंधकार छाया हुआ था।
बाईबल
में अंधेरा का उपयोग उभयभावी अर्थात् दो विपरीत मूल्यों या गुणों को धारण करने वाले के
रूप में होता रहा है। एक ओर अंधकार बुरी शक्ति का प्रतीक है तो दूसरी तरफ़ यह ईश्वर की
रहस्यात्मक उपस्थिति का प्रतीक भी।
जिस प्रकार बादलों से ढँक जाने के बाद नबी
मूसा को ईश्वर के दर्शन हुए वैसा ही कलवरी में अँधकार छा जाने के बाद येसु के साथ हुआ।.
कलवरी
पहाड़ में यद्यपि पिता ईश्वर अनुपस्थित-सा लगते हैं बहुत ही चमत्कारिक रूप से उनकी आँखें
अपने पुत्र येसु के क्रूस पर होने वाले बलिदान पर टिकी हुई हैं। इस संदर्भ में येसु
की वेदना भरी पुकार में इस बात को समझना उचित होगा कि यह कोई निराशा की अभिव्यक्ति नहीं
है। ठीक इसके विपरीत भजन स्तोत्र 23 की पहली पंक्ति में जो बात कही गयी है वह पूरे स्तोत्र
का सार है। स्तोत्र में इस्राएल जाति ने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अपने विश्वास
को प्रकट किया है। इस्राएल जाति ने कहा, "ईश्वर हमारे साथ सदा बना रहता है, वह हमारी
सुनता और हमारे निवेदनों का उत्तर देता है।" मरते हुए येसु की यह प्रार्थना हमें
इस बात के लिये प्रेरित करती है कि हम पूरे विश्वास के साथ उन भाई-बहनों के लिये प्रार्थना
करें जो पीड़ित हैं ताकि वे लोग भी जान सकें कि ईश्वर किसी को कभी नहीं छोड़ता है। इतना
कहकर संत पापा ने अपना संदेश समाप्त किया। उन्होंने विद्यार्थियों के लिये विशेष प्रार्थना
करते हुए कहा कि येसु मसीह उन्हें अंधकार में प्रज्ञा और प्रेम का वरदान प्रदान करें
ताकि व अपने विश्वास में सुदृढ़ बनें। उन्होंने इंगलैंड, आयरलैंड, अमेरिका तथा देश-विदेश
से आये तीर्थयात्रियों, विद्यार्थियों, उपस्थित लोगों एवं उनके परिवार के सभी सदस्यों
पर प्रभु की कृपा, प्रेम और शांति की कामना करते हुए उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद
दिया।