2012-02-06 14:24:11

बिना भय या अलगाव की भावना के सेवायें देना जारी रहे





बंगलोर, 6 फरवरी, 2012 (कैथन्यूज) "काथलिक कलीसिया ग़रीबों और ज़रूरतमंदों की सेवा का प्रशंसनीय नमूना है और उसे चाहिये कि वह बिना भय या अलगाव की भावना के अपनी सेवायें देना जारी रखे।"

उक्त बातें पूर्व निर्वाचन आयुक्त और मदर तेरेसा की जीवनी की लेखक नवीन चावला ने उस समय कहीं जब उन्होंने बंगलोर में आयोजित भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय समिति के सदस्यों को संबोधित किया।

नवीन चावला ने कहा, "मैं काथलिक नहीं हूँ न ही किसी धर्मविशेष से जुड़ा हुआ हूँ। मैंने मदर तेरेसा के साथ 23 वर्षों तक और क्रिश्चियन कॉलेज से अपनी पढ़ाई की पर किसी ने ने तो मेरा धर्मपरिवर्तन कराने का प्रयास किया न बताया कि उनका धर्म मेरे धर्म से उत्तम है।"

उन्होंने कहा, "भारतीय संविधान समावेशी संविधान का प्रशंसनीय उदाहरण है। समावेशी होने इस बात से स्पष्ट है कि इसमें महिलाओं, निरक्षरों और ग़रीबों सबों को मतदान देने का जो अधिकार प्राप्त है ताकि किसी भी प्रकार के भेदभाव से बचा जा सके।"

उन्होंने धन्य मदर तेरेसा के जीवन का उदाहरण देते हुए कहा, "मदर तेरेसा ने यह किसी से नहीं कहा कि ‘उनका धर्म किसी अन्य के धर्म से उत्तम है’। उन्होंने अपना जीवन नम्रता और सेवापूर्ण बिताते हुए दुनिया के किसी भी इंसान तक पहुँचने से खुद को नहीं रोका।"

उन्होंने कहा, "भारत की कलीसिया को चाहिये कि वह शैक्षणिक, समाज सेवी तथा चिकित्सा संस्थानों द्वारा देश की सेवा करना जारी रखें।"
उन्होंने ग़रीबों, जेलों तथा सड़कों में पड़े लोगों की दयनीय स्थिति पर सभा का ध्यान खींचते हुए कहा, "आज मदर तेरेसा की संस्थाओं की तरह हज़ारों घर चाहये ताकि उनकी सेवा संभव हो सके। इंटरनेट और संचार प्रौद्योगिकियों को चाहिये कि व ज़रूतमंदों तक पहुँचने में चर्च की मदद करें।"

उन्होंने कहा, "राज्य और चर्च के बाँटने की ज़रूरत नहीं है। चर्च एक सम्मानित संस्था है। हम अलग-अलग परिस्थितियों में विभिन्न कार्य कर रहे हैं। हमें चाहिये कि हम इसे उत्साह से और निर्भीक होकर करें।"

पूर्व निर्वाचन आयुक्त ने कहा "कलीसिया राज्य के साथ बराबर की भागीदारी की भूमिका निभाये। चर्च का राज्य के अधिकारियों के साथ सदा संपर्क में रही है वह लोगों की सेवा के लिये सरकार से विचार-विमर्श करने की माँग करने से न हिचकिचाये।"

उन्होंने कहा, "चर्च युवा के सशक्तिकरण के लिये विशेष करके उत्तर-पूर्व के माओवादियों तथा जम्मु-कश्मीर के अलगावादी लोगों के लिये भी कार्य करे।"

श्री चावला ने कहा, "मदर तेरेसा के समान यदि हम एक बार मानहानि के भय से मुक्त होना सीख लिये तब हम दुनिया के सभी अन्य भयों से मुक्ति प्राप्त कर लेंगे, जो लोगों की सेवा के लिये अत्यावश्क है।"

उन्होंने सीबीसीआइ के सदस्यों से कहा, "आप अपने कार्यों पर विश्वास कीजिये जैसा मैं आप लोगों पर विश्वास करता हूँ और सेवा कार्य जारी रखें।"
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