2012-02-04 15:13:08

भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन ‘आशा की किरण’


बंगलोर, 4 फरवरी, 2012 (कैथन्यूज़)आगरा के महाधर्माध्यक्ष अल्बर्ट डीसूज़ा ने कहा, "भ्रष्टाचार को समूल उखाड़ फेंकने की जनता की माँग ‘आशा की किरण’ है।"

उन्होंने सीबीसीआइ के महासचिव ने उक्त बात उस समय कही जब उन्होंने बंगलोर में चल रही सीबीसीआइ की महासभा में महाराष्ट्र के एक ग्रामीण समाज सेवी अन्ना हज़ारे के ‘भ्रष्टाचार के विरुद्ध’ नामक आन्दोलन के बारे में टिप्पणी की।

उन्होंने कहा कि भारत में हाल में घोटालों की जो घटनायें प्रकाश में आयी हैं उससे राजनीतिक पार्टियों की विश्वसनीयता पर आँच आयी है।

भ्रष्टाचार के बारे में जो जागरूकता की लहर पूरे देश के हर स्तर में फैली है उससे ‘इंडिया अगेन्स्ट करप्शन’ अभियान को आम आदमी का समर्थन प्राप्त हुआ है।

अपनी रिपोर्ट में उन्होंने इस बात की भी ज़िक्र किया कि अल्पसंख्यकों को भारतीय संविधान के अंतर्गत दिये गये कुछ अधिकारों को कुछ राज्यों ने शिक्षा के अधिकार विधेयक के अन्तर्गत छेड़छाड़ करने का प्रयास किया है।

महाधर्माध्यक्ष डीसूज़ा ने इस बात के प्रति भी अपनी चिंता जतायी कि कुछ लोग ईसाइयों के विरुद्ध नफ़रत की भावना फैलाने का प्रयास किया है।

देश में आये दिन ईसाइयों और ईसाई-संस्थाओं पर आक्रमण करने और उन्हें परेशान करने की घटनायें भी आती रहती हैं।

उन्होंने इस बात को दुहराया कि भारतीय कलीसिया प्रस्तावित ‘कम्युनल भयोलेंस बिल’ का स्वागत करती है जिसे जातीय तनाव, झगड़ों और हिंसा के समाधान के लिये लाया जाना है।

उन्होंने कहा कि यह विधेयक कितना कारगर सिद्ध होगा इसके बारे में इतनी जल्दी कुछ कहा नहीं जा सकता है।

सीबीसीआइ के कार्यों के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि यौन दुराचार संबंधी निर्देशिका के अनुमोदन के लिये उसे रोम भेज दिया गया है।

उन्होंने बतलाया कि सीबीसीआइ भारतीय कलीसिया ने तीनों विधियों की कलीसायाओं की स्वायत्तता को बरकरार रखते हुए उनकी सामान्य एवं अनुष्ठान-संबंधी समस्याओं के समाधान में सहायक रही है।

उन्होंने इस बात की भी जानकारी दी कि भारतीय कलीसिया ने विगत दो वर्षों से दलित ईसाइयों के आरक्षण की माँग को पूरा कराने के लिये कानूनी प्रयास और रैलियों के द्वारा सरकार पर दबाव डालना जारी रखा है।

विदित हो बंगलोर के ‘सेंट जोन्स नैशनल अकाडमी ऑफ हेल्थ साईन्स’ में भारतीय धर्माध्यक्षीय समिति के सदस्यों की द्विवार्षिक सभा चल रही है जिसमें 170 धर्माध्यक्ष हिस्सा ले रहे हैं।


















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