बंगलोर 2 फरवरी 2012 (जेनिथ) भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन की 30 वीं आमसभा “एक
बेहतर भारत के लिए कलीसिया की भूमिका” शीर्षक के तहत बैंगलोर स्थित स्वास्थ्य विज्ञान
सम्बन्धी सेंट जॉन्स नेशनल एकेडमी में 1 से 8 फरवरी तक सम्पन्न हो रही है जिसमें देश
के 164 धर्मप्रांतों के लगभग 170 धर्माध्यक्ष भाग ले रहे हैं।
सम्मेलन की 30
वीँ आम सभा का उदघाटन, पहली फरवरी को, भारत में परमधर्मपीठ के राजदूत महाधर्माध्यक्ष
साल्वातोर पेन्नाखियो के नेतृत्व में अर्पित ख्रीस्तयाग से हुआ। उन्होंने प्रवचन के दौरान
भारत में कलीसिया तथा समाज के सामने प्रस्तुत वर्तमान चुनौतियों का सामना करने के लिए
सुविचारित मेषपालीय प्रत्युत्तर देने तथा धैर्यपूर्ण संवाद, उदारता और खुलेपन की जरूरत
बताया।
आमसभा के उदघाटन सम्बोधन में राजदूत महोदय ने विगत वर्ष धर्माध्यक्षों
की संत पापा बेनेडिरक्ट 16 वें के साथ सम्पन्न पंचचवर्षीय पारम्परिक मुलाकात के समय दिये
गये सम्बोधन में व्यक्त प्रमुख मुद्दों का भी स्मरण किया। सीबीसीआई के अध्यक्ष कार्डिनल
ओसवाल्ड ग्रेशियस ने सम्मेलन के प्रतिभागी धर्माध्यक्षों का स्वागत करते हुए अध्ययन और
चिंतन के लिए चुने गये शीर्षक की सार्थकता को रेखांकित किया। उन्होंने देश की वर्तमान
स्थिति पर टिप्पणी करते हुए कहा कि दो इंडिया हैं- एक जो धनी लोगों की तथा दूसरी गरीबों
और वंचित तबकों की है। संख्या में कम होते हुए भी कलीसिया के सदस्य बेहतर भारत बनाने
के लिए प्रमुख योगदान दे सकते हैं। भारत की आबादी का मात्र 2 प्रतिशत ईसाई हैं।
सीबीसीआई
के उपाध्यक्ष धर्माध्यक्ष जोर्ज पुन्नाकोटिल ने इस अवसर पर संत पापा के संदेश को पढ़ा।
वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल तारचिसियो बेरतोने द्वारा हस्ताक्षरित संत पापा के संदेश
में कहा संत पापा की आशा है कि धर्माध्यक्षों के विचार विमर्श देश के जीवन में सकारात्मक
भूमिका निभाने के लिए भारत की कलीसिया पर केन्द्रित रहेगी तथा इससे बहुत फल उत्पन्न होगें
क्योंकि कलीसिया मानवता को समय के संकेतों को पढ़ते हुए तथा इन्हें सुसमाचार के प्रकाश
के आलोक में व्याख्या करते हुए मानवजाति की सहायता करती है। आमसभा ने कार्डिनल मनोनीत
सीरो मलाबार चर्च के प्रमुख जोर्ज अलेंचेरी को बधाई दिया जो 18 फरवरी को कार्डिनल बनाये
जायेंगे।