वाटिकन सिटी, 26 जनवरी सन् 2012 (सेदोक): वाटिकन ने बुधवार को, विश्व मिशनरी दिवस सन्
2012 के लिये, सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें के सन्देश की प्रकाशना की। इस वर्ष विश्व मिशनरी
दिवस रविवार 21 अक्टूबर को मनाया जायेगा।
सन्देश में, सन्त पापा बेनेडिक्ट 16
वें कहते हैं कि कलीसिया के हर सदस्य का दायित्व है कि वह येसु मसीह के आदेशानुकूल सुसमाचार
के प्रेम सन्देश को जन जन में फैलाये।
सन्त पापा कहते हैं: " कलीसिया के प्रत्येक
सदस्य एवं घटक को दृढ़तापूर्वक प्रभु ख्रीस्त द्वारा मिले सुसमाचार उदघोषणा आदेश को महसूस
करना चाहिये तथा हर जगह भ्रातृत्व प्रेम का प्रचार कर न्याय एवं शांति पर आधारित विश्व
की रचना में योगदान देना चाहिये।"
उन्होंने कहा, "आद जेन्तेस" यानि "लोगों
तक" मिशन, आज भी, कलीसिया की प्रत्येक इकाई का क्षितिज होना चाहिये क्योंकि ईश्वर के
रहस्य में विश्वास ही कलीसिया की पहचान है।"
वर्तमान जगत के ख्रीस्तानुयायियों
को सन्त पापा ने परामर्श दिया कि वे प्रारम्भिक कलीसियाई समुदायों का आदर्श ग्रहण करें
जो छोटे एवं कमज़ोर समुदाय होने के बावजूद सुसमाचार की उदघोषणा एवं ख्रीस्त का साक्ष्य
प्रदान करने के द्वारा तत्कालीन विश्व में विख्यात हो गये थे।
विश्व के विभिन्न
क्षेत्रों में मिशनरी सेवाएँ अर्पित करनेवाली युवा कलीसियाओं की सन्त पापा ने सराहना
की जो, ख़ुद अभावग्रस्त जीवन यापन करने के बावजूद, लोगों को अनुपम सेवाएँ प्रदान कर रहीं
हैं।
उन्होंने स्मरण दिलाया, "विश्व के प्रत्य़ेक भाग से, इतने अधिक पुरोहित,
धर्मबहनें और असंख्य लोकधर्मी विश्वासी तथा अनेक परिवार अपना देश, अपना स्थानीय समुदाय
एवं परिवार छोड़कर, प्रभु येसु के नाम पर अन्य देशों में सेवाएँ प्रदान करने निकल पड़ते
हैं, जिन्हें समर्थन दिया जाना अनिवार्य है।"
कलीसिया के प्रेरितिक कार्यों के
महत्व की प्रकाशना कर सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने कहा कि इन कार्यों का प्रमुख उद्देश्य
ख्रीस्त का साक्षात्कार है। उन्होंने कहा कि प्रेरितिक कार्यों में संलग्न व्यक्ति प्रभु
के ख्रीस्त की उपस्थिति का अनुभव पाते तथा अपने आनन्द को अन्यों में बाँटने में सक्षम
बनते हैं।