येसु ख्रीस्त पौरोहितिक जीवन में सबसे महत्वपूर्ण हैं
वाटिकन सिटी 26 जनवरी 2012 (वीआर वर्ल्ड) इटली के कम्पानिया, कालाबरिया और उम्बरिया
क्षेत्रों में स्थित परमधर्मपीठीय गुरूकुल या सेमिनरियाँ इस वर्ष अपने उदघाटन का शतवर्षीय
समारोह मना रही हैं। इस उपलक्ष्य में इन गुरूकुलों के अधिकारियों और छात्रों ने गुरूवार
26 जनवरी को वाटिकन स्थित प्रेरितिक प्रासाद के क्लेमेंतीन सभागार में संत पापा का साक्षात्कार
कर उनका संदेश सुना।
संत पापा ने धर्मप्रांत के दैनिक जीवन में इन क्षेत्रीय
गुरूकुलों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया कि ये वे स्थल हैं जो ज्ञान को बढ़ावा
देते, एक साथ काम करने की क्षमता को प्रोत्साहन देते तथा भावी पुरोहितों को समृद्ध कलीसियाई
अनुभव उपलब्ध कराते हैं। इन क्षेत्रों के सवालों पर ध्यान केन्द्रित करते हुए उन्होंने
कहा कि उम्बरिया क्षेत्र आध्यात्मिकता और तीर्थयात्राओं का स्थान रहा है जो संत फ्रांसिस
और संत बेनेडिक्ट की जन्मभूमि भी रही है और यह छोटा क्षेत्र हाल में आर्थिक मंदी से भी
प्रभावित रहा है। कालाबरिया और कम्पानिया क्षेत्र के संदर्भ में संत पापा ने कहा कि ये
मजबूत परम्पराओं और ईशभक्ति के क्षेत्र रहे हैं जिसके परिणामस्वरूप नवीकृत सुसमाचार प्रचार
हो।
संत पापा ने एक पुरोहित के जीवन और काम के बारे में कहते हुए धर्म या
विश्वास की संरचना को पूरी तरह से सीखने के महत्व पर बल दिया। उन्होंने यह भी कहा कि
पुरोहित, जो जीवन और मृत्यृ के पथ पर अन्यों का साथ देता है उसके लिए यह महत्वपूर्ण है
कि वह दिल और दिमाग, तर्क और भावना ,शरीर और आत्मा के मध्य संतुलन रखे।
अंततः
संत पापा ने कहा कि येसु ख्रीस्त में ईश्वर के साथ निजी संबंध बनाये रखना पुरोहिताई
और सम्पूर्ण पौरोहितिक जीवन में सबसे महत्वपूर्ण है।