मानव-मर्यादा के प्रति उचित सम्मान की भावना को स्थापित करने की सख़्त ज़रूरत
वाशिंगटन, 23 जनवरी, 2012 (सीएनए) "अमेरिका में 80 प्रतिशत विकलांगों का गर्भपात होना
इस बात की ओर इंगित करता है कि मानव मर्यादा के प्रति उचित सम्मान की भावना को स्थापित
करने की सख़्त ज़रूरत है।" उक्त बात अमेरिका के फिलाडेलफिया के महाधर्माध्यक्ष चार्ल्स
जे चापुत ने उस समय कही जब उन्होंने 22 जनवरी ‘जीवन’ विषय पर आयोजित को कार्डिनल ओ कोन्नोर
की 13वें सभा के आरंभ में उपस्थित लोगों को संबोधित किया। विदित हो कि वाशिंगटन के
जेस्विट संचालित जोर्जटाउन युनिवर्सिटी में इस वार्षिक सभा का आयोजन ठीक उस रैली के पूर्व
हुआ जब हज़ारो अमेरिकियों ने राजधानी में गर्भपात का विरोध किया और मानव मर्यादा के सम्मान
की माँग की। महाधर्माध्यक्ष चापुत ने कहा, "विकलांग बच्चे बोझ नहीं पर मूल्यवान वरदान
हैं।वे मानवता के सही अर्थ को समझने के दरवाजे हैं।" उन्होंने कहा, "गर्भपात शिशु
को मार डालता है, महिला के जीवन की मर्यादा और पहचान को घायल करता है और आशा का नाश करता
है, इसीलिये यह ग़लत है और इसका अन्त होना चाहिये और इसीलिये हम इसके विरोध में संगठित
हैं।" महाधर्माध्यक्ष ने कहा, "उचित और मजबूत विश्वास तथा नैतिकता के अभाव में अमेरिका
अपने मूलभूत आदर्शों के प्रति ही विमुख और इसका शत्रु बन जायेगा।" उन्होंने कहा कि जिस
तरह देश का रवैया ग़रीबों और अपंगों के प्रति है उससे यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है हम मानव
मर्यादा के प्रति कितने कम सचेत हैं। महाधर्माध्यक्ष ने कहा, "चिकित्सकों और माता
–पिताओं को इस चुनौती को ठीक से समझने की आवश्यकता है कि विकलांग बच्चों की परवरिश में
कुछ परेशानियाँ हैं पर यह भी सत्य है कि कोई भी बच्चा पूर्ण नहीं होता।" उन्होंने
कहा, "विशेष ज़रूरतमंद बच्चों या विकलांग बच्चों को स्वीकार करने या नहीं करने का निर्णय
वास्तव में प्रेम या प्रेम का अभाव, साहस या कायरता और विश्वास या भय के बीच का निर्णय
है।" "यह एक ऐसा निर्णय है जिसे व्यक्तिगत और सामाजिक दोनों स्तरों पर लिया जाना
चाहिये। ईश्वर हमसे इसी बात का हिसाब माँगेगे कि हमने किस तरह से अपनी स्वतंत्रता का
उपयोग किया।" उन्होंने कहा, "अगर हमने ईश्वर को उचित स्थान दिया है तो हम मानव जीवन
की पवित्रता और मर्यादा को बनाये रखने का प्रयास करेंगे।" "इसका अर्थ यह है कि सरकारी
अधिकारी काथलिक विश्वास के नियमानुसार अपना जीवन बितायेंगे, चिकित्सक उसी के आधार पर
अपना कार्य करेंगे और दवाओँ को प्रयोग करने का निर्देश देंगे और सार्वजनिक मुद्दों पर
आम व्यक्ति उसी विश्वास के आधार पर अपना जीवन बितायेंगे।" महाधर्माध्यक्ष चापुत
ने लोगों से कहा, "आप निर्भय होकर जीवन रक्षा के लिये कार्य करते रहें, जीवन के लिये
कार्य करने से निश्चय ही ईश्वर की महिमा पूर्ण होगी।" उन्होंने कहा, संस्कृति को
बदलना कठिन है पर हमें इस बात की पहचान करनी चाहिये कि ईश्वर हमें आमंत्रित कर रहे हैं
और ईश्वर को ‘हाँ’ कहने का यही उत्तम समय हैं।"