2012-01-23 15:17:09

देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें द्वारा दिया गया संदेश


वाटिकन सिटी रोम 23 जनवरी 2012 (सेदोक, एशिया न्यूज) संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने रविवार 22 जनवरी को संत पेत्रुस बासिलिका के प्रांगण में देश विदेश से आये हजारों तीर्थयात्रियों, विश्वासियों और पर्यटकों के साथ देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया। उन्होंने इताली भाषा में सम्बोधित करते हुए कहा-
अतिप्रिय भाईयो और बहनो,
यह रविवार ख्रीस्तीयों के मध्य एकता के प्रार्थना सप्ताह के मध्य पड़ता है जो 18 से 25 जनवरी तक मनाया जा रहा है। मैं सबको आमंत्रित करता हूँ कि पिता ईश्वर के पास येसु द्वारा अपने दुःखभोग की पूर्वसंध्या पर की गयी प्रार्थना में वे संयुक्त हों। “ सब के सब एक हो जायें पिता जिस तरह तू मुझ में है और मैं तुझ में उसी तरह वे भी हम में एक हो जायें जिससे संसार यह विश्वास करे कि तूने मुझे भेजा।” इस वर्ष विशिष्ट रूप से ख्रीस्तीयों के मध्य एकता के प्रार्थना सप्ताह हमारा मनन चिंतन का संदर्भ कुरिंथियों के नाम प्रेरित संत पौलुस के पहले पत्र से है - हम सभी येसु मसीह की विजय द्वारा परिवर्तित हो जायेंगे।
हमारा आह्वान किया जाता है कि हम पाप और मृत्यु पर ख्रीस्त की विजय पर मनन चिंतन करें. उनका पुनरूत्थान ऐसी घटना थी जो उसमें विश्वास करनेवाले में पूर्ण परिवर्तन ला देती है और उन्हें अविनाशी और अमर जीवन के योग्य बनाती है। ईसाईयों के मध्य पूर्ण एकता की खोज करनेवाले ईसाई कहते हैं कि येसु ख्रीस्त में विश्वास करने की पूर्ण बदलाव लानेवाली शक्ति को पहचानें और स्वीकार करें।
इस वर्ष ख्रीस्तीय एकता के प्रार्थना सप्ताह के लिए प्रार्थना मनोरथ की तैयारी पोलैंड के एक समूह द्वारा तैयार की गयी हैं। वस्तुतः पोलैंड में विभिन्न अवरोधों और कठिनाईयों के खिलाफ साहसपूर्ण संघर्ष का लम्बा इतिहास रहा है और इस देश ने बहुत बार विश्वास से अनुप्राणित महान दृढ़ता का परिचय दिया है। इसलिए ख्रीस्तीयों के मध्य एकतावर्द्धक प्रार्थना सप्ताह के शीर्षक के शब्दों की प्रतिध्वनि है और पोलैंड के लिए विशेष महत्व है। कई सदियों से ईसाईयों ने स्वतः ही स्वतंत्रता की खोज के आध्यात्मिक पहलू में पोलैंड को समझा है तथा साकार किया है कि सच्ची विजय आ सकती है यदि गहन अंतरिक परिवर्तन भी हो।
ये हमें स्मरण कराते हैं कि एकता के लिए हमारी खोज यथार्थ तरीके से आगे बढ़ायी जा सकती है यदि परिवर्तन प्राथमिक रूप से हमारे अंदर हो और यदि हम ईश्वर को काम करने की अनुमति प्रदान करते हैं, यदि हम स्वयं को ख्रीस्त के प्रतिरूप में बदलने की अनुमति देते हैं, यदि हम ख्रीस्त में नये जीवन में प्रवेश करते हैं जो सच्ची जीत हैं।
ईसाईयों के मध्य दर्शनीय एकता हमेशा ईश्वर का काम रहा है, ऐसा काम जिसके लिए हमारी कमजोरी को पहचानने की विनम्रता हो तथा उपहारों का स्वागत करें। तथापि, धन्य संत पापा जोन पौल द्वितीय द्वारा बहुधा प्रयोग में लायी गयी अभिव्यक्ति, हर उपहार समर्पण बन जाता है। जो एकता ईश्वर से आती है इसके लिए चाहिए प्रेम में एक दूसरे प्रति खुले रहने का हमारा दैनिक समर्पण।
अनेक दशकों से ईसाईयों के मध्य एकता का प्रार्थना सप्ताह कलीसिया की एकतावर्द्धक गतिविधि का केन्द्रीय तत्व रहा है। मसीह के शिष्यों के मध्य पूर्ण एकात्मता के लिए प्रार्थना करने में हम जो समय देते हैं यह हमें गहन रूप से सक्षम बनाये कि यह समझ सकें कि कैसे हम उनकी विजय, ताकत और पुनरूत्थान से पूर्ण परिवर्तित हो सकते हैं।
अगले बुधवार 25 जनवरी को, जैसा कि परम्परा रही है ख्रीस्तीयों के मध्य एकता के लिए प्रार्थना सप्ताह का समापन हम प्रेरित संत पौलुस के मनपरिवर्तन के पर्व दिवस पर संत पौल बासिलिका में आयोजित समारोही संध्यावंदना प्रार्थना समारोह में करेंगे जिसमें विभिन्न कलीसियाओं और ईसाई समुदायों के प्रतिनिधियों की भी उपस्थिति रहेगी। मैं आप सबको बड़ी संख्या में उपस्थित होने के लिए आमंत्रित करता हूँ ताकि हम सब मिलकर एकता के स्रोत, प्रभु को अर्पित पूजनधर्मविधिक प्रार्थना को नवीकृत कर सकें। इसे हम पूरे विश्वास के साथ कलीसिया की माँ , धन्य कुँवारी माता मरियम की मध्यस्थता के सिपुर्द करते हैं।
इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।








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