2012-01-18 12:44:58

नई दिल्लीः कलीसिया संचालित स्कूलों द्वारा आर.टी.ई. अधिनियम का विरोध


नई दिल्ली, 18 जनवरी, सन् 2012 (कैथन्यूज़): भारत के ख्रीस्तीय मिशनरी स्कूलों ने संयुक्त रूप से विवादास्पद आर.टी.ई. एक्ट यानि शिक्षा के अधिकार अधिनियम के कार्यान्वयन का विरोध करने का निर्णय लिया है।

मंगलवार को नई दिल्ली स्थित युसुफ भवन में उक्त अधिमनियम पर विचार विमर्श एवं सरकार के समक्ष प्रस्तावों को रखने के लिये आयोजित बैठक में, भारत के धर्मप्रान्तीय स्कूलों के अध्यक्ष, काथलिक धर्माध्यक्ष फ्रेंको मूलाक्काल ने कहा, "शिक्षा के अधिकार" अधिनियम के नाम पर उत्पीड़न के खिलाफ हम सब को संयुक्त रूप से संघर्ष करना चाहिये।"

भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के शिक्षा एवं संस्कृति सम्बन्धी के कार्यालय के सचिव फादर कूरिआला चिट्टाटूकलाम ने कहा कि भारतीय संविधान अल्पसंख्यकों को, सरकार के हस्तक्षेप के बिना, स्वतंत्रता की पूर्ण गारंटी देता है।

उन्होंने कहा, "संविधान के अनुच्छेद 31 पहले भाग के अनुसार, धर्म और भाषा के आधार पर अल्पसंख्यक बने सभी समुदायों को अपनी पसंद के शैक्षिक संस्थानों की स्थापना एवं प्रशासन का अधिकार होगा।"

धर्माध्यक्ष मूलाक्काल ने कहा कि यदि हमारे स्कूलों को लक्षित किया जाता है या सरकार हमसे अनुचित मांगें करती है तो हमें संयुक्त होकर इसका विरोध करना चाहिये।

प्रमुख ईसाई संचालित स्कूलों के प्राचार्यों ने उक्त बैठक में भाग लिया। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों के लिये 25 फीसदी आरक्षण के तहत वे केवल ग़रीब काथलिक छात्रों को ही अपने स्कूलों में भर्ती कर सकते हैं।

शिक्षा के अधिकार अधिनियम में निहित बेतरतीब चयन, दंड, छात्रों की अनिवार्य पदोन्नति, पड़ोस की संकल्पना आदि के प्रावधान का भी उन्होंने विरोध किया। सेंट कोलंबस स्कूल के प्रिंसिपल फादर लेनी लोबो ने कहा, "अनुशासन कभी भी स्कूल का अहित नहीं करता और न ही विफलताएं छात्रों की गुणवत्ता को प्रभावित करती हैं।

स्कूल प्राचार्यों ने कहा कि ईसाई स्कूलों में मूल्यों पर आधारित, गुणकारी शिक्षा प्रदान की जाती है इसलिये उन्हें अधिक से अधिक स्वायत्तता प्रदान की जानी चाहिए।








All the contents on this site are copyrighted ©.