2012-01-16 18:19:14

देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें द्वारा दिया गया संदेश


वाटिकन सिटी रोम 16 जनवरी 2012 (सेदोक, एशिया न्यूज) संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने रविवार 15 जनवरी को संत पेत्रुस बासिलिका के प्रांगण में देश विदेश से आये हजारों तीर्थयात्रियों, विश्वासियों, पर्यटकों और बच्चे बच्चियों के साथ देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया। उन्होंने इताली भाषा में सम्बोधित करते हुए कहा-

अतिप्रिय भाईयो और बहनो,

सामान्य काल का दूसरा रविवार- इस रविवार के बाइबिल पाठ में सुसमाचार में बुलाहट शीर्षक में येसु के प्रथम शिष्यों के बुलावे तथा पहले पाठ में नबी सामुएल के बुलावे की चर्चा है। इन दोनों कथाओं में उस व्यक्ति के महत्व को रेखांकित किया गया है जो मध्यस्थ की भूमिका अदा करते हैं, ईश्वर की पुकार को पहचानने तथा उसका अनुसरण करने के लिए लोगों की सहायता करता है। सामुएल के मामले में, यह एली हैं शिलोह मंदिर के पुरोहित जहाँ ईश्वर की मंजूषा येरूसालेम ले जाये जाने से पहले रखी गयी थी। एक रात्रि सामुएल, जो मंदिर में सेवा करने वाले बालक की तरह रहता था, सोते समय तीन बार बुलाये जाने को सुनकर उठा और एली के पास गया। लेकिन एली ने उसे नहीं बुलाया था। तीसरी बार बुलाये जाने पर एली जान गये और सामुएल से कहे यदि तुम्हें पुनः बुलाया गया तो यह कहना- प्रभु बोल तेरा सेवक सुन रहा है। इसके बाद सामुएल ने ईश्वर के वचन को सुनना और पहचानना सीखा और विश्वसनीय नबी बना।
येसु के शिष्यों के मामले में मध्यस्थ करनेवाली छवि योहन बपतिस्ता हैं। वस्तुतः योहन के शिष्यों का सर्कल बहुत व्यापक था और उनके मध्य जुड़वा भाईयों के दो जोड़े भी थे सिमोन और अन्द्रेयस तथा योहन और याकूब जो गलीलिया के मछुआरे थे। इन दोनों के लिए योहन बपतिस्ता ने येसु की ओर दिखाते हुए जब वे यर्दन नदी में बपतिस्मा ग्रहण कर निकल रहे थे तो कहा था- देखो ईश्वर का मेमना अर्थात मसीह को देखो। और इन दोनों ने येसु का अनुसरण किया। उनके साथ वे लम्बे समय तक रहे और उन्हें दृढ़ मत हो गया कि यह वास्तव में ख्रीस्त ही हैं। इसके बाद उन्होंने तुरंत अन्यों को बताया और इस प्रकार शिष्यों की मंडली का पहला केन्द्रक बना।

इन दोनों प्रसंगों के आलोक में मैं विश्वास की यात्रा में आध्यात्मिक मार्गदर्शकों की निर्णायक भूमिका पर जोर देना चाहता हूँ, विशेष रूप से ईश्वर और लोगों की सेवा करने के लिए विशेष अभ्यंजन का जवाब देने के लिए। मसीही विश्वास स्वयं में उदघोषणा और साक्ष्य है। वस्तुतः यह सुसमाचार में सहभागी होना है जिसके लिए नाजरेथ के येसु मरे और जी उठे, वह ईश्वर हैं। और इस प्रकार, येसु का और अधिक निकटता से अनुसरण करने का बुलावा, अपने परिवार का परित्याग कर चर्च रूपी महान परिवार के लिए स्वयं को समर्पित करने के लिए साक्ष्य तथा बडें भाई जैसे, सामान्य तौर पर पुरोहित के प्रस्ताव की जरूरत होती है। इसका अर्थ यह नहीं है कि अभिभावकों द्वारा निभायी गयी बुनियादी भूमिका को विस्मृत कर दिया जाता है, जो अपने यथार्थ और आनन्दपूर्ण विश्वास तथा दाम्पत्य प्रेम द्वारा अपने बच्चों को दिखाते हैं कि ईश्वर के प्रेम पर आधारित जीवन की रचना करना सुंदर तथा संभव है।

प्रिय मित्रो, कुँवारी माता मरियम के पास सब शिक्षकों, अभिभावकों और विशेष रूप से पुरोहितों के लिए प्रार्थना करें ताकि उनके पास अपनी आध्यात्मिक भूमिका निभाने की पूर्ण जागरूकता हो और वे युवाओं को प्रोत्साहित करें जिससे वे मानव विकास सहित ईश्वर के बुलावे का प्रत्युत्तर दे सकें- प्रभु बोल तेरा सेवक सुन रहा है।

इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।








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