2012-01-14 12:15:28

संत पापा ने न्याय और शांति का अर्थ समझाया


वाटिकन सिटी, 14 जनवरी, 2012 (ज़ेनित) संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने कहा है, "न्याय केवल मानव समझौता नहीं और न ही शांति युद्ध की अनुपस्थिति है।"

संत पापा ने उक्त बातें उस समय कहीं जब उन्होंने वाटिकन सिटी में परंपरागत रूप से आयोजित एक समारोह नागरिक सुरक्षा अधिकारियों को नये वर्ष की शुभकामनायें दीं।

संत पापा ने कहा, "रोम जैसे शहर में जहाँ विश्वभर से पर्यटक और तीर्थयात्री लगातार आते रहते हैं, सुरक्षा व्यवस्था बनाये रखना एक साधारण कार्यमात्र नहीं है। संत पीटर का प्रांगण ख्रीस्तीयता का केन्द्र है और विश्व भर के काथलिक चाहते हैं कि जीवन में कम से कम एक बार रोम का दौरा करें और प्रेरित संत पीटर की कब्र के दर्शन कर प्रार्थना चढ़ायें। रोम में ईसाइयों के धर्मगुरु का होना और दुनिया भर के लोगों का यहाँ आना निश्चिय ही रोमवासियों और इटली के लिये कोई समस्या नहीं है, ठीक इसके विपरीत यह एक गर्व की बात और समृद्धि का श्रोत है।"

संत पापा ने कहा, "मेरे शांति संदेश में मैंने युवा को न्याय और शांति के बारे में शिक्षित करने के बारे में कहा है। इन दोनों शब्दों ‘न्याय और शांति’ का प्रयोग आज सब लोग करते हैं पर कई बार इसका प्रयोग उचित रूप से नहीं किया जाता है।"

संत पापा ने कहा, "‘न्याय’ सिर्फ़ मानव समझौता नहीं है। जब तथाकथित न्याय का मापदंड उपयोगिता, मुनाफ़ा और धन संपति बन जाते हैं तब मानव मूल्य और मर्यादा मानव के पौ तले कुचल दिये जाते हैं। न्याय एक ऐसा गुण है जो मानव इच्छा का मार्गदर्शक है जो हमें इस बात की प्रेरणा देता है कि हम दूसरे को वह चीज़ प्रदान करें जो उसको उसकी अस्तित्व और कार्यों के आधार पर देय है।"

"इसी प्रकार शांति युद्ध की अनुपस्थिति नहीं मात्र नहीं है या झगड़ों को समाप्त करने के मानव प्रयास का परिणाम मात्रन नहीं पर पर इससे बढ़कर यह ईश्वरीय वरदान है जिसे विश्वास के साथ ग्रहण किया जाना चाहिये जिसकी परिपूर्णता येसु मसीह में है। सच्ची शांति पाने के लिये प्रत्येक व्यक्ति सहानुभूति, भाईचारा, सहयोग और सेवा का अनवरत योगदान दे।"

संत पापा ने कहा, "एक पुलिस का दायित्व है कि वह सदा न्याय और शांति का सच्चा प्रचारक बने।"














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