2012-01-09 11:38:24

वाटिकन सिटीः आठ जनवरी 2012 को देवदूत प्रार्थना से पूर्व दिया गया सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें का सन्देश


वाटिकन स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में, देश विदेश से एकत्र तीर्थयात्रियों को, रविवार 8 जनवरी को, सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने इस प्रकार सम्बोधित कियाः

"अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,
आज हम प्रभु के बपतिस्मा का पर्व मना रहे हैं। आज प्रातः मैंने 16 बच्चों को बपतिस्मा संस्कार प्रदान किया इसीलिये हमारे ईश सन्तान होने पर मैं एक लघु चिन्तन प्रस्तुत करना चाहता हूँ। सर्वप्रथम तो, पुत्र पुत्रियों रूप में अपने अस्तित्व पर हम विचार करें: यह वह अवस्था है जो हम सबमें सामान्य रूप से विद्यमान है। सभी माता पिता नहीं हैं किन्तु निश्चित रूप से सभी पुत्र पुत्रियाँ हैं। इस संसार में आना कभी भी एक चयन नहीं है, हमसे यह कभी नहीं पूछा जाता कि क्या हम जन्म लेना चाहते हैं या नहीं। परन्तु, जीवन के दौरान हम जीवन के प्रति एक स्वतंत्र रुख को विकसित एवं परिपक्व कर सकते हैं: हम उसे एक वरदान के रूप में ग्रहण कर सकते हैं, एक तरह से, वह बन सकते हैं जो हम वास्तव में हैं अर्थात् पुत्र पुत्रियाँ। यह पारण या हमारी यह यात्रा हमारे अपने अस्तित्व में तथा माता पिता के साथ सम्बन्ध में परिपक्वता का संकेत बनकर उभरती है, यह हममें क़दरदानी का भाव भर देती है। हमारी यह कथित यात्रा हमें भी, जैविक रूप से नहीं अपितु नैतिक रूप से, माता पिता बनने में सक्षम बनाती है।"


सन्त पापा ने कहाः ........ " हम सब ईश्वर के पुत्र पुत्रियाँ हैं। ईश्वर प्रत्येक प्राणी के उदगम एवं स्रोत हैं, तथा अद्वितीय ढंग से प्रत्येक मानव प्राणी के पिता हैं: प्रत्येक पुत्र अथवा प्रत्येक पुत्री के साथ उनका अद्वितीय एवं व्यक्तिगत सम्बन्ध है। हममें से प्रत्येक ईश्वर की चाहत एवं उनके प्रेम का पात्र है। ईश्वर के साथ इस सम्बन्ध में भी, कथित रूप से, हम "पुनः जन्म" लेते हैं, अर्थात् हम वे बन जाते हैं जो हम वास्तव में हैं और वह है ईश सन्तान। यह विश्वास के द्वारा सम्भव होता है, मेरे अस्तित्व के स्रोत एवं आधार रूप में ईश्वर के प्रति "हाँ" के द्वारा सम्भव बन पड़ता है। इस "हाँ" के द्वारा मैं जीवन को स्वर्गिक पिता के वरदान स्वरूप स्वीकार करता हूँ, उन स्वर्गिक पिता के वरदान स्वरूप जिन्हें मैं देख नहीं सकता किन्तु जिनमें विश्वास करता हूँ तथा हृदय की अतल गहराई में महसूस करता हूँ कि वे मेरे तथा मानवजाति में मेरे सभी भाइयों एवं बहनों के पिता हैं, ऐसे पिता जो असीम भले और विश्वसनीय पिता हैं।"

उन्होंने कहा, "पिता ईश्वर में इस विश्वास का आधार है क्या? इस विश्वास का आधार है येसु ख्रीस्तः उनका व्यक्तित्व एवं उनका इतिहास पिता ईश्वर को प्रकट करते हैं, वे हमें पिता ईश्वर का ज्ञान कराते हैं, जितना भी इस संसार में सम्भव है। यह विश्वास करना कि येसु ही ख्रीस्त हैं, वे ही ईश्वर के पुत्र हैं हमें "ऊपर से पुनः जन्म" लेने का अधिकार देता है, अर्थात् ईश्वर से जन्म लेने का, ईश्वर जो प्रेम हैं (दे. योहन 3,3)। येसु के बारे में सन्त योहन कहते हैः "जिन्होंने उसे अपनाया उन्हें उसने ईश सन्तान बनने का गौरव प्रदान किया" (योहन 1,12)। यही है बपतिस्मा संस्कार का अर्थः यह नये जन्म का संस्कार है, जो कलीसिया के गर्भ में निवास करनेवाले पवित्रआत्मा के सामर्थ्य से हमें प्राप्त होता है।"

अन्त में सन्त पापा ने कहा, ... "प्रिय मित्रो, प्रभु के बपतिस्मा के इस रविवार से ख्रीस्तजयन्ती की अवधि समाप्त होती है। इस महान रहस्य के लिये हम ईश्वर के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करें, जो कलीसिया एवं सम्पूर्ण विश्व के लिये पुनरुद्धारक एवं सम्पोषक तत्व है। ईश्वर मानवपुत्र बने ताकि मानव ईश्वर की सन्तान बन जाये। अस्तु, मानव रूप में तथा ख्रीस्तानुयायी रूप में, ईश सन्तान बनने के आनन्द को हम नवीकृत करें। एक पिता और एक माता के प्रेम के परिणामस्वरूप जन्म लेने तथा बपतिस्मा संस्कार में ईश प्रेम के द्वारा पुनः जन्म लेने के लिये हम ईश्वर को धन्यवाद दें। ख्रीस्त की माता मरियम तथा ख्रीस्त में विश्वास करनेवाले सभी लोगों की माता से हम निवेदन करें ताकि वे, ईश सन्तान योग्य जीवन यापन में हमारी मदद करें, केवल शब्दों से ही नहीं अपितु अपने व्यवहार एवं कार्यों में भी, हम, ईश्वर से उत्पन्न सन्तान के योग्य आचरण कर सकें। सन्त योहन लिखते हैं: "उसकी आाज्ञा यह है कि हम उसके पुत्र ईसा मसीह के नाम में विश्वास करें और एक दूसरे को प्यार करें, जैसा कि मसीह ने हमें आदेश दिया" (प्रथम योहन 3,23)।"

इतना कहकर सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने सबके प्रति मंगलकामनाएँ अर्पित कीं तथा सभी पर ईश्वर की कृपा एवं शांति का आह्वान कर, सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया। ...............

तदोपरान्त सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने देश विदेश से आये तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया, अँग्रेज़ी भाषा में उन्होंने कहा, "आज देवदूत प्रार्थना के लिये उपस्थित सभी अँग्रेज़ी भाषी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन करते, मैं, अत्यधिक हर्षित हूँ। आज मनाये जा रहे प्रभु के बपतिस्मा पर्व में, हम इस तथ्य पर चिन्तन करते हैं कि ईश्वर अपने इकलौते पुत्र के साक्षी बनते हैं तथा पवित्रआत्मा, उनकी भावी सार्वजनिक प्रेरिताई के लिये उनका अभिषेक करते हैं। प्रभु ईश्वर से हम इस साहस के लिये प्रार्थना करें कि हम पवित्र तृत्व यानि त्रियेक ईश्वर के साथ सहभागिता के जीवन के प्रति निष्ठावान बने रहें, जिसे हमने बपतिस्मा संस्कार में प्राप्त किया है। प्रभु ईश्वर की विपुल आशीष आप सबपर बनी रहे।"








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