ढाकाः तसलीमा नसरीन की पुस्तक रखने के लिये शिक्षक किया गया गिरफ्तार
ढाका, 07 जनवरी, सन् 2012 (एशियान्यूज़): दक्षिणी बांग्लादेश के पिरोज़पुर ज़िले में,
एक तकनीकी महाविद्यालय के प्राचार्य को इसलिये गिरफ्तार कर लिया गया है क्योंकि उनकी
लाईब्रेरी से, बांग्लादेश में बन्धित, तसलीमा नसरीन का विख्यात उपन्यास "लज्जा" पाया
गया।
सन् 1993 से तसलीमा नसरीन के उक्त उपन्यास पर बांग्लादेश में निषेध लगा
है। सन् 1994 में इसी उपन्यास के चलते लेखिका तसलीमा नसरीन के विरुद्ध बांग्लादेश के
इस्लामी रूढीवादी संगठनों ने एक फ़तवा जारी कर उन्हें प्राण दण्ड देने का फ़ैसला किया
था। इस्लामी संगठनों का कहना है कि इसमें इस्लाम धर्म की निन्दा की गई है। तब से लेखिका
नसरीन भारत तथा यूरोप में शरण लेती रही हैं तथा बांग्लादेश नहीं लौटी हैं।
पिरोज़पुर
ज़िले स्थित के.सी. टेकनीकल एवं बिज़नस मैनेजमेन्ट कॉलेज की लाईब्रेरी से "लज्जा" की
एक कॉपी मिलने के बाद प्राचार्य युनस अली को गिरफ्तार कर लिया गया। अली ने अपने बचाव
में कहा है कि उन्हें किसी षड़यंत्र द्वारा फँसाया गया है। पुलिस इन्सपेक्टर अब्दुल मालेक
ने कहा, "लज्जा, बांग्लादेश में एक निषिद्ध उपन्यास है किन्तु इसके बावजूद प्रार्चाय
ने इसे लाईब्रेरी में जगह दी। इस अपराध के लिये उन्हें उत्तर देना होगा।"
"लज्जा"
में 49 वर्षीया लेखिका तसलीमा नसरीन ने मुसलमानों द्वारा उत्पीड़ित एक हिन्दू परिवार
की कहानी सुनाई है।
एशिया न्यूज़ से प्राचार्य युनस अली की गिरफ्तारी के बारे
में लेखिका नसरीन ने कहा, "यह दर्शाता है कि बांग्लादेश में अभी प्रजातंत्रवाद की स्थापना
नहीं हो सकी है। वह अभी भी एक तानाशाही देश है। सन् 1990 से इस्लामी चरमपंथियों ने मेरी
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को मौन कर दिया है तथा मुझे मार डालने की कोशिशें की हैं, उन्होंने
मुझे मेरे अपने देश तथा परिवार को छोड़ने पर बाध्य किया है।"
उन्होंने कहा, "मेरी
पुस्तक की वजह से इस समय एक व्यक्ति ख़तरे में है। किन्तु "लज्जा" ईश निन्दा का उपन्यास
नहीं है, इसमें केवल एक उत्पीड़ित धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय का बचाव किया गया है जो
निरन्तर मुसलमान बहुसंख्यक समुदाय के अत्याचारों का सहता है। मैं इस व्यक्ति तथा उन सब
लोगों के प्रति मंगलकामनाएँ अर्पित करती हूँ जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से वंचित किये
जाते हैं।"