नई दिल्लीः भारत के काथलिक धर्माध्यक्षों ने "कम्यूनल वायलेन्स बिल" को अनिवार्य और महत्वपूर्ण
बताया
नई दिल्ली, 03 जनवरी सन् 2011 (एशिया न्यूज़): भारत के काथलिक धर्माध्यक्षों ने कहा है
कि भारत जैसे परिपक्व प्रजातंत्रवादी देश के लिये "कम्यूनल वायलेन्स बिल" यानि साम्प्रदायिक
हिंसा विधेयक अनिवार्य और महत्वपूर्ण है। भारतीय संसद द्वारा सर्दियों के सत्र में अन्तरधार्मिक
हिंसा पर उक्त विधेयक को सम्मिलित न किये जाने पर भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन
ने टिप्पणी की।
सोनिया गांधी राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एन.ए.सी) द्वारा "कम्यूनल
वायलेन्स बिल" का प्रस्ताव किया गया था जो केन्द्र को धर्म पर आधारित हिंसा के मामलों
में, राज्य के अधिकारियों को दरकिनार कर, प्रत्यक्ष हस्तक्षेप का अधिकार प्रदान करता
है। इस प्रकार के कानून की ज़रूरत सन् 2003 में गुजरात के हिन्दु मुस्लिम दंगों तथा सन्
2008 में उड़ीसा में हुई ख्रीस्तीय विरोधी हिंसा के बाद महसूस की गई थी। गुजरात दंगों
में हिन्दु चरमपंथियों ने मुसलमानों के विरुद्ध तथा उड़ीसा में ख्रीस्तीयों के विरुद्ध
हिंसा ढाई थी। इन अवसरों पर केन्द्रीय सरकार स्थानीय सरकार की अनुमति के बिना हस्तक्षेप
करने में असमर्थ रही थी।
विधेयक के आलोचकों ने इसे असंवैधानिक बताया है। उनकी
दलील है कि राज्य के मामलों में केन्द्र का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिये। काथलिक धर्माध्यक्षों
का कहना है कि विधेयक का उद्देश्य यह आश्वासन प्राप्त करना है कि राज्य सरकार अपना काम
निष्पक्ष रूप से तथा न्यायपूर्वक करे। अपनी बात को समर्थन देने के लिये काथलिक धर्माध्यक्षीय
सम्मेलन ने प्रस्तावित विधेयक के दो बिन्दुओं को स्पष्ट किया है।
पहला बिन्दु
संविधान में निहित धार्मिक या जातीय अल्पसंख्यक रूप में "समूह" शब्द की परिभाषा से सम्बन्धित
है। काथलिक धर्माध्यक्षों ने कहा कि उक्त कानून के आलोचक इस पुष्टि को देश को विभाजित
करनेवाला तत्व मान रहे हैं जबकि इसमें कहीं भी बहुसंख्यक समुदाय के विरुद्ध भेदभाव नहीं
किया गया है। वस्तुतः, "कम्यूनल वायलेन्स बिल" बहुसंख्यक समुदाय तथा अल्पसंख्यक समुदाय
के लोगों को समान अधिकार की गारंटी देता है।
दूसरा बिन्दु, केन्द्रीय सरकार के
हस्तक्षेप को लेकर है। आलोचकों का कहना है कि इससे राज्य के अधिकारियों के काम में विघ्न
पड़ेगा। तथापि, धर्माध्यक्षों ने स्पष्ट किया कि कानून में केवल एक बाहरी प्राधिकरण की
बात कही गई जो बाहर से राज्य में होनेवाली धर्म पर आधारित हिंसा पर निगरानी रखेगा।