तमिल नाडः वेलांकन्नी माँ को समर्पित महागिरजाघर ने पूरे किये पचास वर्ष
तमिल नाड, 30 दिसम्बर सन् 2011 (एशियान्यूज़): तमिल नाड स्थित वेलांकन्नी में माँ मरियम
को समर्पित महागिरजाघर के अनुष्ठान की पचासवीं वर्षगाँठ मनाने के लिये सन् 2012 के दौरान
प्रति दिन एक घण्टा प्रार्थना करने का मनोरथ रखा गया है।
तीन नवम्बर सन् 1962
ई. में स्व. सन्त पापा जॉन 23 वें ने वेलंकान्नी स्थित मरियम गिरजाघर को महागिरजाघर का
दर्ज़ा प्रदान किया था। 31 दिसम्वर सन् 2012 तक प्रतिदिन एक घण्टे का प्रार्थना करने
का उद्देश्य, अन्तरधार्मिक सम्वाद एवं ख्रीस्तीयों के बीच एकता को प्रोत्साहन देना तथा
पल्लीवासियो, तीर्थयात्रियों एवं महागिरजाघर में सेवारत पुरोहितों एवं धर्मबहनों के अच्छे
स्वास्थ्य के लिये याचना करना है। स्वास्थ्य प्रदान करनेवाली वेलंकान्नी की मां मरियम
के महागिरजाघर को सन् 2002 में धन्य सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय ने "पूर्व के लूर्द" का
शीर्षक प्रदान किया था।
वेलंकान्नी मरियम तीर्थ की देखरेख करनेवाले पुरोहिताध्यक्ष
फादर ए. माईकिल ने एशिया समाचार को बताया कि वेलंकान्नी के मरियम तीर्थ की पचासवीँ वर्षगाँठ
में उपलक्ष्य में उन्होंने एक नये गिरजाघर के निर्माण का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा,
"स्वर्ण जयन्ती समारोह को उचित रीति से मनाने के लिये हमने एक नये तथा विशाल गिरजाघर
के निर्माण का निर्णय लिया है, जिसे "प्रभात का तारा" कहा जायेगा और जिसकी क्षमता 15,000
तक होगी।
प्रति वर्ष सम्पूर्ण विश्व से हज़ारों तीर्थयात्री वेलंकान्ना माँ
मरियम के तीर्थ पर श्रद्धा अर्पित करने तथा मन्नतें मांगने पहुँचते हैं। सन् 2004 में
आये समुद्री तूफान सुनामी के समय वेलांकन्नी के मरियम तीर्थ के आस पास के इलाके भी सुनामी
की चपेट में आ गये थे जिससे 850 व्यक्तियों की मौत हो गई थी तथा लगभग 300 लहरों के साथ
दूर तक बह गये थे किन्तु जो लोग महागिरजाघर के अन्दर शरण ले रहे थे, वे बच गये थे।
16
वीं सदी से मरियम वेलंकान्नी में दर्शन देती रही हैं। बताया जाता है कि सर्वप्रथम बालक
येसु को अपनी बाहों में लिये मरियम ने एक दूध वाले हिन्दु किशोर को दर्शन देकर उनसे अपने
पुत्र के लिये दूध मांगा था। इसके कुछ वर्ष बाद मरियम ने फिर दर्शन दिये तथा इस अवसर
पर उनके आदर में एक प्रार्थनालय के निर्माण का आग्रह किया था। इसके बाद, 17 वीं सदी में,
कुछ पुर्तगाली नाविकों ने अपनी पोतभंग हो जाने पर मरियम से रक्षा की गुहार लगाई थी। सुरक्षित
समुद्र तट पर पहुँचते ही इन पुर्तगाली नाविकों ने मरियम के आदर में वेलंकान्नी में पहले
से निर्मित प्रार्थनालय पर ही एक गिरजाघर बनवाया तथा इसे "आर लेड़ी ऑफ हेल्थ" यानि स्वास्थ्य
की रानी मरियम के सिपुर्द कर दिया था।