2011-12-23 10:37:40

वाटिकन सिटीः क्रिसमस सन्देश में सन्त पापा ने वर्तमान युग में व्याप्त "नैतिक संकट" पर किया चिन्तन


वाटिकन सिटी, 23 दिसम्बर सन् 2011 (सेदोक): वाटिकन राज्य में, गुरुवार को, परमधर्मपीठीय रोमी कार्यालय में सेवारत सभी कार्डिनलों, धर्माध्यक्षों तथा अन्य वरिष्ठ धर्माधिकाकरियों को क्रिसमस की बधाईयाँ अर्पित करते हुए सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने वर्तमान विश्व में व्याप्त "नैतिक संकट" पर चिन्तन किया।

सन्त पापा ने कहा कि कठिन परिस्थितयों के बावजूद इस बात का ज्ञान कि ईश्वर हमसे प्रेम करते हैं, जीवन को अर्थ प्रदान करता तथा काम करने की ऊर्जा देता है। यूरोप तथा शेष विश्व में कमज़ोर पड़ते विश्वास पर उन्होंने गहन चिन्ता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि वर्तमान विश्व में व्याप्त धर्म के प्रति उदासीनता तथा "विश्वास सम्बन्धी थकावट" को दूर करने के लिये, इस वर्ष स्पेन में सम्पन्न विश्व युवा दिवस तथा अफ्रीका के बेनिन में सम्पन्न उनकी प्रेरितिक यात्रा से, प्रेरणा प्राप्त की जा सकती है।

उन्होंने कहा कि उक्त दोनों ही यात्राएँ कलीसिया के धर्माधिकारियों एवं विश्वासियों को सीख देती हैं।

विश्व और विशेष रूप से यूरोप में व्याप्त आर्थिक संकट, काथलिकों की घटती संख्या तथा यूरोप में पुरोहितों की कमी जैसी समस्याओं पर सन्त पापा ने ध्यान आकर्षित कराया तथा कहा कि नवीन सुसमाचार उदघोषणा के प्रति कलीसिया का समर्पण इन सभी चुनौतियों का सामना करने की शक्ति प्रदान कर सकता है।

सन्त पापा ने कहा कि अन्ततः वर्तमान विश्व पर आच्छादित आर्थिक संकट नैतिक संकट है जो अनवरत जारी है क्योंकि "व्यक्तियों एवं समाज के विशाल अंचलों में परित्याग एवं बलिदान की भावना का अभाव रहा करता है।"

कलीसिया की समस्याओं पर ध्यान आकर्षित कराते हुए सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने कहा कि वृद्ध होते धर्माधिकारी, काथलिकों की घटती संख्या तथा बुलाहटों में आई कमी "विश्वास के संकट" के संकेत हैं। उन्होंने कहा, "यदि हम इन तथ्यों का उत्तर पाने में असमर्थ रहे तथा येसु ख्रीस्त का साक्षात्कार करने के बाद भी यदि हम अपने विश्वास को नवीकृत नहीं कर पाये तो हमारे सभी अन्य सुधार एवं प्रयास प्रभावहीन हो जायेंगे।"

बेनिन में अपनी यात्रा के विषय में सन्त पापा ने कहा, "बेनिन में मैंने धर्म के प्रति उदासीनता को नहीं देखा, जैसा कि यहाँ देखा जाता है। वहाँ के लोग ख्रीस्तीय धर्म से ऊहब गये हैं या थक गये हैं, ऐसा मैंने महसूस नहीं किया।" इसी प्रकार, उन्होंने कहा, "स्पेन में सम्पन्न विश्व युवा दिवस के दौरान भी युवाओं में ईश्वर और धर्म के प्रति रुचि का मैंने साक्षात्कार किया।" उन्होंने कहा इन सबसे सम्पूर्ण कलीसिया के लोग शिक्षा ग्रहण कर सकते तथा नवीन ऊर्जा के साथ सुसमाचार की उदघोषणा कर मानवजाति को, इस कठिन एवं चुनौतिपूर्ण वर्तमान विश्व में, आशा का सन्देश दे सकते हैं।

सन्त पापा ने कलीसियाई अधिकारियों से आग्रह किया कि वे कलीसिया की सार्वभौमिकता को बरकरार रखें ताकि लोग यह जान लें कि आयु, भाषा तथा संस्कृति की भिन्नता के बावजूद कलीसिया के मिशन में सब के सब एक हैं। लोकोपकारी कार्यों को प्रोत्साहन देने तथा पवित्र यूखारिस्त की भक्ति एवं संस्कारों में सहभागिता द्वारा दैनिक कार्यों के लिये शक्ति अर्जित करने का सन्त पापा ने परमधर्मपीठीय रोमी कार्यालय में सेवारत धर्माधिकारियों से आग्रह किया।








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