उड़ीसाः कन्धामाल में, क्रिसमस के दौरान हड़ताल के आह्वान से ख्रीस्तीयों में छाया भय
उड़ीसा, 20 दिसम्बर सन् 2011 (कैथन्यूज़): उड़ीसा के कन्धामाल ज़िले में, एक अदिवासी
संगठन द्वारा, क्रिसमस के दौरान, हड़ताल का आह्वान करने के बाद कन्धामाल के ख्रीस्तीय
धर्मानुयायियों ने अधिकारियों से सुरक्षा की मांग की है।
रविवार को कन्धामाल
ज़िले की कुई समाज सेवा समिति ने, सरकार के उपेक्षाभाव पर विरोध प्रकट करने हेतु दिसम्बर
24 से दिसम्बर 27 तक तीन दिवसीय हड़ताल का आह्वान किया।
कन्धामाल में सन् 2008
की ख्रीस्तीय विरोधी हिंसा से बच निकले लोगों के संगठन के समन्वयकर्त्ता बिप्रा चरण नायक
ने ऊका समाचर से कहा, "हड़ताल के बारे में सुनकर ख्रीस्तीयों के मन में भय छा गया है
जो चार वर्षों बाद अब क्रिसमस महापर्व मनाने की तैयारियाँ कर रहे थे।"
उन्होंने
स्मरण दिलाया कि कन्धामाल ज़िले की कुई समाज सेवा समिति ने ही सन् 2007 में क्रिसमस के
समय ही हड़ताल करवाई थी जिसके बाद हुए दंगों में पाँच ख्रीस्तीय धर्मानुयायी मारे गये
थे तथा ख्रीस्तीयों के सैकड़ों आवासों को आग के हवाले कर दिया गया था। इसी के बाद सन्
2008 के अगस्त माह में ख्रीस्तीय विरोधी हिंसा भड़की थी जिसमें लगभग 90 व्यक्तियों की
जान गई तथा 50,000 से अधिक ख्रीस्तीय विस्थापित हो गये।
समन्वयकर्त्ता बिप्रा
चरण नायक ने कहा, "हम ज़िला अधिकारियों से अपील करते हैं कि वे अतीत की हड़तालों पर ध्यान
दें तथा तुरन्त उपयुक्त कारर्वाई करें।"
नायक ने ऊका समाचार को यह भी बताया कि
सन् 2007 के बाद से, कन्धामाल के ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों ने, कभी भी खुलकर क्रिसमस
महापर्व नहीं मनाया है।
कटक भूबनेश्वर महाधर्मप्रान्त के सम्पर्क अधिकारी फादर
सन्तोष दिग्गल ने कन्धामाल के उक्त संगठन द्वारा बुलाई गई हड़ताल को एक बुरी योजना बताया
है। उन्होंने कहा कि क्रिसमस के समय ही हड़ताल का आह्वान करना जानबूझकर शांति भंग करने
का षड़यंत्र है। उन्होंने सरकार का आह्वान किया कि वे कुई समाज सेवा समिति द्वारा बुलाई
गई हड़ताल पर तुरन्त रोक लगायें।
मानवाधिकार कार्यकर्त्ता सि. जस्टीन सेनापति
ने भी उक्त संगठन की हड़ताल योजना पर रोष जताया और कहा कि ख्रीस्तीयों को क्रिसमस पर्व
मनाने से वंचित करना उनके मानवाधिकारों का अतिक्रमण है।