2011-12-12 17:39:51

देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें द्वारा दिया गया संदेश


वाटिकन सिटी रोम 12 दिसम्बर 2011 (सेदोक, एशिया न्यूज) संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने रविवार 11 दिसम्बर को संत पेत्रुस बासिलिका के प्रांगण में देश विदेश से आये हजारों तीर्थयात्रियों, विश्वासियों, पर्यटकों और बच्चे बच्चियों के साथ देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया। उन्होंने इताली भाषा में सम्बोधित करते हुए कहा-
अतिप्रिय भाईयो और बहनो,
आगमन काल हमें येसु के आने की प्रतीक्षा करते हुए जीवन जीने के लिए आमंत्रित करता है न कि उनके आने के लिए प्रतीक्षा करना रोक दें। आर्थिक संकट के कारण ताम झाम का स्तर कुछ कम है लेकिन बाह्य वातावरण हमें पारम्परिक व्यावसायिक संदेश देता है। तथापि, ईसाईयों से आग्रह किया जाता है कि बिना विचलित हुए, यह जानते हुए कि चीजों को सही परिप्रेक्ष्य में देखते और रखते हुए वे आंतरिक रूप से येसु ख्रीस्त पर ध्यान केन्द्रित करें। यदि हम प्रार्थना में सजग हैं और ईश्वर की महिमा में लीन तो हमारी आँखें उनमें संसार की सच्ची ज्योति को पहचान सकेंगीं जो हमारे अंधकार को दूर करने के लिए ज्योति लेकर आते हैं।
इस रविवार की पूजनधर्मविधि हमें खुशी और आनन्द मानने के लिए आमंत्रित करती है न कि उदासमय सतर्कता की। सच्चा आनन्द मौज मस्ती का फल नहीं है लेकिन शब्दों की उत्पत्ति के भाव में यह डिवरतियेरे अर्थात जीवन के समर्पण तथा स्वयं के उत्तरदायित्व से दूर होने में नहीं है। सच्चा आनन्द इससे कहीं अधिक गहरे अर्थ से जुडा है। निस्संदेह, बहुधा चहल-पहल से पूर्ण हमारे दैनिक जीवन में आराम और विश्राम के लिए समय पाना महत्वपूर्ण है फिर भी सच्चा आनन्द ईश्वर के साथ संबंध से जुड़ा है। जो लोग ख्रीस्त से मिलते हैं वे अपने दिल में शांति और आनन्द का अनुभव पाते हैं जिसे कोई दूसरा व्यक्ति या परिस्थिति नहीं ले सकती है।
सच्चा आनन्द न तो साधारण और मन की चंचल स्थिति है न ही कुछ ऐसा जिसे हम अपने प्रयासों से पाते हैं लेकिन यह उपहार है जो जीवित येसु से मिलने से उत्पन्न होता है। हम हमारे मध्य उनको स्थान देते हैं, पवित्र आत्मा का स्वागत करते हैं जो हमें जीवन में मार्गदर्शन प्रदान करता है। हम उनपर भरोसा रखते हैं। आगमन काल में हम इस निश्चित तथ्य को मजबूती प्रदान करते हैं कि प्रभु हमारे मध्य आये हैं तथा अपने उत्साह, प्रेम और आनन्द से इसे निरंतर नवीकृत करते रहते हैं। हमारा उन पर विश्वास है जैसा कि संत अगुस्टीन ने अपने अनुभवों के प्रकाश में कहा था- ईश्वर उससे भी अधिक हमारे समीप हैं जितना कि हम अपने आप के निकट हैं।
हम अपनी यात्रा को कुँवारी माता मरियम के सिपुर्द करते हैं जिनकी आत्मा मुक्तिदाता ईश्वर में उल्लसित है। वे हमारे दिलों को मार्गदर्शन प्रदान करें जैसा कि हम आनन्दपूर्वक येसु के आने की प्रतीक्षा करते हैं, प्रतीक्षा जो प्रार्थना और भले कार्यों को करने में समृद्ध है।
इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।








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