2011-12-05 20:08:04

‘ला साग्रदा फामिलिया’ की प्रदर्शनी में भीड़ उमड़ी


वाटिकन सिटी, 5 दिसंबर, 2011 (ज़ेनित) संस्कृति के लिये बनी परमधर्मपीठीय समिति द्वारा स्पेन के बार्सेलोना में अवस्थित ‘ला साग्रादा फमिलिया’ बसिलिका पर आयोजित प्रदर्शनी वाटिकन सिटी में लोगों के लिये शीतकालीन आकर्षण बनी हुई है। प्रदर्शनी को "गौदी और ला सग्रादा फमिलिया" कहा गया है।
ऑस्ट्रेलिया के फादर अंतोनी केल्ली ने कहा " प्रदर्शनी बहुत ही सुन्दर है। बसिलिका की कल्पना ही एक अविश्वसनीय मिशाल है और प्रदर्शनी को जिस तरह से सजाया गया है वह सराहनीय और मनमोहक है।"
बार्सेलोना के कार्डिनल लुइस मर्टिनेज़ ने कहा, " सदियों से विश्व को कला,संस्कृति और सुन्दरता के क्षेत्र में अपना योगदान देना वाला ख्रीस्तीय विश्वास का यह एक और अनुपम उपहार है।
वाटिकन में लगी इस प्रदर्शनी को तीन भागों में अर्थात् कला, विज्ञान और गौदी की आध्यात्मिकता में विभाजित किया गया है।
प्रथम भाग में, गौदी कै सौन्दर्यशास्त्र के रंगों, विभिन्न आकारों, और रिक्त स्थानों और कलात्मक तकनीकि से सजाया गया है।
दूसरे भाग, में गौदी की वास्तुकला या भवन-निर्माण कला को और तीसरे भाग में ख्रीस्तीय धर्म के उन प्रसंग संकेतों को दिखलाया है जिन्हें गौदी ने बसिलिका में शामिल किया है।
प्रदर्शनी वाटिकन के संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण के बर्निनी स्तंभ के चारलेमाने विंग में अवस्थित है, प्रवेशनिःशुल्क है और जो 15 जनवरी 2012 तक जारी रहेगी।


कार्डिनल ने सीएनए को दिये अपने साक्षात्कार में संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें की बातों को याद करते हुए कहा, "ला साग्रदा फमिलिया बसिलिका अदृश्य ईश्वर का दृश्य रूप है, जो सांसारिक संस्कृति और धार्मिक रूप से तटस्थ होती जा रही यूरोपीय समुदाय के लिये अति आवश्यक है।
विदित हो कि स्पेन के बार्सेलोना में निर्माणाधीन बसिलिका ला साग्रदा फमिलिया अर्थात् ‘द हॉली फामेली’ कतालोनियन वास्तुकार अंतोनी गौदी (1852-1929) की कल्पना का फल है। गोथिक और नोभी शैली के समिश्रण से बने इस बसिलिका के दुनिया के आधुनिक वास्तुकारी आश्चर्यों में से एक माना जाता है।
कार्डिनल सिस्ताक ने गौडी की तारीफ़ करते हुए कहा,"गौडी वचन और कर्म दोनों से ख्रीस्तीय रहे।"
उन्होंने कहा, "हम गौदी को एक वास्तुकार के रूप में न देखें पर एक आदर्श ख्रीस्तीय रूप में देखें और प्रार्थना करें कि उनके नाम पर कोई ईश्वरीय कार्य सम्पन्न हो जिससे वे धन्य घोषित हो सकें।"













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