संत पीयुस दसवें धर्मसमाज ‘सैद्धांतिक प्रस्तावना’ से पूर्णतः संतुष्ट नहीं
रोम, 3 दिसंबर,2011(ज़ेनित) संत पीयुस दसवें समाज के सुपीरियर जेनरल धर्माध्यक्ष बेरनार्ड
फेल्ले ने इस बात की घोषणा की है कि "उनका समुदाय वाटिकन द्वारा दिये गये " डॉक्टराइनल
प्रीआंबल " अर्थात् सैद्धांतिक प्रस्तावना से पूर्णतः संतुष्ट नहीं हैं।"
विदित
हो कि यह प्रस्तावना वाटिकन के उस दस्तावेज़ का प्रथम भाग है जिसे संत पीयुस दसवें धर्मसमाज
को रोम के साथ एक होने के लिये प्रस्तुत किया गया था।
वाटिकन की ओर से विश्वास
के सिद्धांत के लिये बनी सभा के प्रीफेक्ट कार्डिनल विलियम लेवादा ने इस प्रस्तावना को
भेजा था।
धर्माध्यक्ष फेल्ले ने सोमवार 30 नवम्बर को एक अपने समुदाय के विचारों
को साक्षात्कार में व्यक्त करते हुए समाज के ‘वेब साइट’ में प्रकाशित किया।
उन्होंने
कहा, "प्रस्तावना के साथ जो नोट लिखा गया है कि ‘जो विषयवस्तु है वह स्थायी नहीं है’
इसमें बदलाव की आवश्यकता है।"
प्रस्तावना के लाये जाने वाले "आवश्यक सुधार "
को वे तुरन्त सार्वजनिक नहीं करना चाहते हैं।
उन्होंने बताया कि जब वाटिकन से
इस संबंध में बातचीत हो जाती है तब वे इसके संशोधनों के साथ प्रस्तावना की विषयवस्तु
को प्रकाशित करेंगे।
साक्षात्कार में इस बात का अनुभव किया गया कि वाटिकन और संत
पीयुस दसवें के बीच समझौता का मार्ग उतना आसान नहीं है।
धर्माध्यक्ष फेल्ले ने
वाटिकन द्वितीय के दस्तावेज़ संबंधी अपनी असंतुष्टि का इज़हार खुल कर किया। उन्होंने
कलीसिया का आधुनिक दुनिया के प्रति 50 सालों के खुलेपन की निष्फलता के प्रति भी असंतुष्टि
दिखायी।
ग़ौरतलब है, वाटिकन की ओर से भेजी गयी प्रस्तावना वाटिकन और संत पीयुस
दसवें धर्मसमाज के बीच 2009 में शुरु किये गये वार्ता का ही एक भाग है।
दोनों
के बीच मनमुटाव उस समय शुरु हुआ जब सन् 1988 ईस्वी में संत पीयुस धर्मसमाज के संस्थापक
महाधर्माध्यक्ष मारसेल लेफेबरे ने वाटिकन की अनुमति के बग़ैर चार धर्माध्यक्षों का अभिषेक
कर दिया था।