2011-12-03 13:27:41

दीर्घकालिक प्रसन्नता के लिये दूसरों की सेवा करें


कोलकाता, 3 दिसंबर, 2011 (कैथन्यूज़) "दीर्घकालिक प्रसन्नता दूसरों की प्रति सेवा भाव से आती है और प्रत्येक प्राणी में यह क्षमता है कि वे धन्य मदर तेरेसा बने।"
उक्त बातें दलाई लामा ने उस समय कहीं जब उन्होंने कलकत्ता में 2 दिसंबर को धन्य मदर तेरेसा पर एक व्याख्यान दिया।

उन्होंने कहा, "सिर्फ़ प्रार्थना करने से सह्रदयता और दूसरों के प्रति सेवा की भावन नहीं आती पर नकारात्मक भावनाओं का विश्लेषण और निष्काषण और झूठ को दिल में जगह नहीं देने से आती है।"

इसलिये, यह आवश्य है कि सभी मुख्य धर्म इस बात पर बल दें कि व्यक्ति संयम, क्षमा, प्रेम, दया और परहित के लिये कार्य करे विशेष रूप से ग़रीब और कमजोर वर्ग के लोगों के लिये।"

दलाई लामा ने कहा, "धन्य मदर तेरेसा ने उन बातों का शिक्षा दी और उसका पालन किया जिन्हें येसु मसीह ने उन्हें सिखाया था। उन्होंने कई बार मदर तेरेसा धर्मसमाज की संस्थाओं का दौरा किया है और धर्मबहनों की सेवा से बहुत प्रेरणा प्राप्त की है।

उन्होंने कहा, "यद्यपि धन्य मदर तेरेसा शारीरिक रूप सें वहाँ उपस्थित नहीं हैं पर उनकी आत्मा जीवित है। दलाई लामा ने मदर तेरेसा को, "भूमिपुत्री" कहा।
उन्होंने उपस्थित लोगों से कहा, "सन् 1959 से ही उन्होंने भारत आना शुरु किया और उसी समय से उन्होंने धार्मिक सद्भाव का पाठ सीखा।

सभा में उपस्थित पश्चिम बंगाल के राज्यपाल एम.के. ने कहा "मानवता शांति के लिये तरसती है और यह दुनिया महात्मा गाँधी, मार्टिल लूथर किंग, धन्य मदर तेरेसा और दलाई लामा जैसे लोगों से धन्य हुआ।"
विदित हो, मिशनरीस ऑफ चैरिटी की सहकर्मी प्रसिद्ध







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