2011-12-02 13:15:00

वाटिकन ने अवैधानिक धर्माध्यक्ष की उपस्थिति की आलोचना की


वाटिकन सिटी, 2 दिसंबर, 2011(सीएनए) वाटिकन के प्रवक्ता जेस्विट फादर फेदेरिको लोमबारदी ने चीन में 30 नवम्बर को वाटिकन अनुमोदित सहायक धर्माध्यक्ष पीटर लूओ सुवेकंग के अभिषेक समारोह में कलीसिया से बहिष्कृत धर्माध्यक्ष पौल लेई शियीन की उपस्थिति का आलोचना की है।

वाटिकन प्रेस कार्यालय के निदेशक फादर लोम्बारदी ने चीन के यिबिन धर्मप्रांत के लिये धर्माध्यक्ष पीटर के धर्माध्यक्षीय अभिषेक का स्वागत किया है पर उन्होंने कहा कि ‘कलीसिया से बहिष्कृत’ धर्माध्यक्ष का समारोह में उपस्थित होना लोगों के मन में "भ्रांति और भतभेद" का कारण बनता है।

फादर लोम्बारदी ने कहा," कलीसिया के नियम का उल्लंघन से बहिष्कृत धर्माध्यक्ष की धर्मवैधानिक स्थिति को, दुर्भाग्यवश और कमजोर होती है।"

विदित हो कि वाटिकन प्रवक्ता फादर लोम्बारदी ने पहले ही इस बात को स्पष्ट कर दिया था कि कोई भी "अवैधानिक धर्माध्यक्ष" धर्माध्यक्षीय अभिषेक समारोह में हिस्सा नहीं ले सकते हैं पर धर्माध्यक्ष शियिन ने कलीसिया के नियम और निर्देश का उल्लंघन किया।"

ग़ौरतलब है, धर्माध्यक्ष शियिन को जून 2011 में इसलिये कलीसिया से बाहर कर दिया गया था क्योंकि उन्होंने बिना वाटिकन की अनुमति के धर्माध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया।

फादर लोमबारदी ने कहा, " ग़ैरकानूनी धर्माध्यक्ष का काननी धर्माध्यक्षीय समारोह में शामिल होने से असामान्य परिस्थिति पैदा हो गयी है जिसके और अधिक खोजबीन किये जाने की आवश्यकता है।"

प्रवक्ता ने कहा, "संभव है ऐसी परिस्थिति में उसे टाला न जा सका अब और अधिक सूचना मिलने पर ही वाटिकन इस पर उचित मूल्यांकन कर सकती है।"

ग़ौरतलब है कि नये धर्माध्यक्ष लूओ सुवेकंग के धर्माध्यक्षीय अभिषेक समारोह की अध्यक्षता यिबिन के वयोवृद्ध 95 वर्षीय धर्माध्यक्ष जोन चेंग शिजोंग ने की। समारोह में 800 लोगों ने हिस्सा लिया और करीब 100 पुरोहित भी सहअनुष्ठाता के रूप में सहभागी हुए।

नये धर्माध्यक्ष यिबिन धर्मप्रांत में करीब 30 हज़ार काथलिकों की सेवा करेंगे जो चीन के दक्षिण केंद्रीय सिचुआन प्रांत में अवस्थित है।

वाटिकन प्रवक्ता ने कहा, "तीन अवैधानिक धर्माध्यक्षों के अभिषेक के बाद कम से कम वाटिकन और विश्व के काथलिक धर्माध्यक्षों की सहमति से एक धर्माध्यक्ष का अभिषेक सकारात्मक चिह्व है।"

उन्होंने कहा, "निश्चिय ही, यह चीन की कलीसिया और सार्वभौमिक कलीसिया के लिये आशाजनक बात है।"















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