वाटिकन सिटी, 26 नवम्बर, 2011(सेदोक वीआर) मेषपालीय स्वास्थ्य सेवा के लिये बनाये गये
परमधर्मीठीय समिति द्वारा आयोजित अन्तरराष्ट्रीय सभा को सम्बोधित करते हुए संत पापा बेनेदिक्त
ने धन्य जोन पौल द्वारा स्वास्थ्य सेवाकार्य के लिये गये अनेक पहलों की सराहना की।
उन्होंने
कहा कि धन्य जोन पौल द्वितीय ने 25 वर्ष पहले सन 1985 में स्वास्थ्य सेवा के लिये परमधर्मपीठीय
समिति की स्थापना के साथ-साथ विश्व रोगी दिवस का आरंभ किया और ‘गुड समारिटन’ नामक एक
फाउँडेशन की स्थापना जो अनेक देशों में कार्यरत है।
संत पापा ने कहा, "बीमारों
की सेवा करना और उनका करीबी से मार्गनिर्दशन करना न केवल शारीरिक घावों की चंगाई करना
है पर आध्यात्मिक और नैतिक भी। यह आपको एक ऐसा सुवासर देता है जब आप मानव जीवन के दुःख
और भयानक कष्ट में पड़े लोगों को ईश्वर के मुक्तिकार्यों और येसु के प्रेम का निकट से
साक्ष्य दे सकें।"
पोप ने कहा" क्रूसित येसु का मरता हुआ चेहरा जो पिता से एक
होकर पूरी मानवता के लिये दुःख उठाता है हमें इस बात की शिक्षा देता है कि हम मानव मर्यादा
को विभिन्न परिस्थितियों में पहचानें, प्रत्येक जीवन का सम्मान कर इसकी रक्षा करें और
जीवन के मूल्य का विस्तार करें।"
जीवन के दुःखों और यातनाओं के जिन मूल्यों
का साक्ष्य प्रभु येसु ने अपने क्रूस की मृत्यु और पुनरुत्थान के द्वारा दिखलाया वहीं
साक्ष्य धन्य जोन पौल द्वितीय के जीवन के अंतिम क्षणों में देखा गया।
येसु का
अनुसरण करते हुए धन्य जोन पौल द्वितीय ने अपना क्रूस अंतिम तथा ढोया ताकि वह अपने एकमात्र
स्वामी और प्रभु के समान बने सके जिसने अपने क्रूस के द्वारा मुक्ति के लिये पूरी मानव
जाति को आकर्षित किया।
संत पापा ने कहा, "धन्य जोन पौल की दृढ़ इच्छा के उदाहरण
से आप भी इस पर विश्वास करें कि अपने सेवा कार्य में येसु के महिमामय क्रूस को पायेंगे
और सुसमाचारी जीवन की पूर्ण प्रकाशना।"
उन्होंने कहा,"आप अपनी सेवा में इस बात
का अनुभव करें कि सिर्फ़ सेवा ही हमें उस ज्ञान के लिये आँखे खोल देता है ताकि हम समझ
सकें कि ईश्वरहमें कितना देता और प्यार करता है।"