कोतोनु, बेनिन, 21 नवम्बर, 2011(सीएनए) संत पापा ने कहा कि अफ्रीका " आशा की धरती " है
और यह विश्व को ख्रीस्तीय जीवन का एक उत्तम साक्ष्य दे सकता है। संत पापा ने उक्त
बातें उस समय कहीं जब उन्होंने अफ्रीका महादेश के बेनिन की तीन दिवसीय यात्रा की समाप्ति
पर कोतोनु के कार्डिनल बेरनार्दिन गंतिन हवाईअड्डे पर अपने विदाई भाषण दिये। संत
पापा ने कहा, "अफ्रीका महादेश के लिये मेरे दिल में विशेष सम्मान और स्नेह है और मेरा
दृढ़ विश्वास है कि यह आशा की भूमि है।" उन्होंने कहा, " यहाँ हमने सच्चे मूल्यों
को पाया है जिनसे दुनिया बहुत कुछ सीख सकता है; ईश्वर की मदद और स्वयं अफ्रीकियों के
संकल्प से उन मूल्यों को विस्तार और विकसित किये जाने की आवश्यकता है। " संत पापा
ने कहा कि "नये प्रेरितिक प्रबोधन ‘अफ्रीकाए मुनुस’ अफ्रीका को समृद्ध करने में " विशेष
रूप से उपयोगी " बन सकता है। उन्होंने कहा, " मैं अफ्रीका वासियों को इसे सौंप देता हूँ
वे इसका अध्ययन बारीकी से करें और अपने रोज दिन के जीवन में इसे कार्यरूप दें। संत
पापा ने बेनिन के राष्ट्रपति यायी से कहा कि बहु-धार्मिक बेनिन अपने नागरिकों और चर्च
और राज्य के बीच भी "सौहार्दपूर्ण सह-अस्तित्व" का एक सुन्दर नमुना हो सकता है और यह
सिद्ध करता है कि आपसी सम्मान "न केवल वार्ता के लिये उपयोगी है पर आपसी एकता एवं विभिन्न
जातीय समुदाय और लोगों के लिये भी निहायत ज़रूरी है"। पोप ने कहा कि भ्रातृत्व बेनिन
के राष्ट्रीय प्रतीक में अंकित तीन शब्दों में प्रथम शब्द है। यह यही दिखाता है कि "
आपस में भ्रातृत्व भाव से एकता में रहना और वैध विविधताओं का सम्मान करना एक आदर्श मात्र
नहीं है।" आज मैं कहना चाहता हूँ कि क्यों, एक अफ्रीकी देश पूरी दुनिया को यह नहीं
बता सकती है कि न्यायपूर्ण सच्चे भ्रातृ भाव और परिवार और श्रम के मूल्यों के आधार जीवन
जीना संभव है। संत पापा ने बेनिन से रोम के लिये प्रस्थान करने के पूर्व अपनी तीन
दिवसीय यात्रा जिसे उन्हें "आनन्द और मित्रता" के भाव से बिताया ईश्वर को धन्यवाद दिया
और अफ्रीका वासियों को प्रोत्साहन भरे शब्दों से कहा कि वे " दुनिया की नमक और ज्योति
बनें।" संत पापा ने उपस्थितलोगों से कहा, " ‘आवर लेडी ऑफ अफ्रीका’ की मध्यस्थता से
ईश्वर आप लोगों को आशीर्वाद दे और स्थानीय भाषा में कामना की "ईश्वर बेनिन को आशिष दे।"