कोतोनाव के स्टेडियम में आयोजित यूखरिस्तीय बलिदान में संत पापा का प्रवचन
संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने बेनिन के कोतोनाव में आयोजित यूखरिस्तीय बलिदान में प्रवचन
देते हुए कहा, मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनों, अपने पूर्वाधिकारी धन्य जोन पौल द्वितीय
के पदचिह्नों पर चलते हुए मेरे प्रिय महादेश अफ्रीका की दूसरी यात्रा करते हुए सहर्ष
बेनिन आया हूँ। मैं आप सबों को शांति और आशा का संदेश देना चाहता हूँ।
सबसे पहले
तो मैं कोतानाव के महाधर्माध्यक्ष अनतोइने गन्ये के स्वागत के लिये धन्यवाद देता हूँ।
इसके साथ-साथ मैं यहाँ उपस्थित अफ्रीका के कार्डिनलों. धर्माध्यक्षों अड़ोस-पड़ोस के
राष्ट्रों से आये विश्वासियों फ्रेंच भाषा-भाषी देशों - तोगो, बुरकिना फासो और नाइजेर
के अतिथियों का संत पीटर के उत्तराधिकारी के रूप में अभिवादन करता हूँ।
आज हम
ख्रीस्त राजा का महोत्सव मना रहे हैं। इस अवसर पर हम बेनिन में सुसमाचार प्रचार के 150
वर्ष पूरे होने के लिये धन्यवाद दें। कुछ माह पूर्व रोम में आयोजित अफ्रीकी धर्माध्यक्षों
की द्वितीय विशेष सभा के लिये भी हम ईश्वर के प्रति अपनी कृतज्ञता दिखायें।
आज
के सुसमाचार में हमने सुना कि प्रभु येसु ख्रीस्त मानव पुत्र और हमारा न्यायकर्त्ता भूखों,
प्यासों परदेशियों, नंगों, बीमारों और कैदियों तथा दुःखियों एवं बहिष्कृत लोगों के रूप
में इस दुनिया में दिखाई पड़ते हैं। जैसा हम उनके साथ व्यवहार करेंगे ठीक वैसा ही वर्ताव
वे भी हमारे साथ करेंगे।
येसु मसीह का सारा जीवन इसी पड़ोसी प्रेम का एक जीवन्त
उदाहरण है। येसु, ईश्वर के पुत्र, हमारे लिये मनुष्य बने, हमारे साथ मानव जीवन जीया
और यहाँ तक कि वे हमारे लिये सेवक भी बन गये। उनके लिये सिर रखने को जगह नहीं मिली और
उन्हें क्रूस की मृत्यु की सजा मिली। और यही येसु - हमारे राजा का त्योहार आज हम मना
रहे हैं।
निश्चय ही यह हमारे लिये बहुत प्रभावपूर्ण न लगे। दो हज़ार वर्ष पहले
हुए आज भी लोग सत्ताधारियों की शक्ति, धन और योग्यता की सफलता का पर विश्वास करते थे
इसलिये आज भी हमें इस बात का स्वीकार करना कठिन लग सकता है कि येसु कैसे राजा हैं जो
एक छोटे लोगों के लिये सेवक बनना स्वीकर करते हैं, और उनका मुकुट है क्रूस। इन सबके बावजूद
पवित्र धर्मग्रंथ हमें बतलाता है कि इसी क्रूस में येसु की महिमा प्रकट हुई; अपनी विनम्रता
में ही उन्होंने दुनिया के न्याय करने शक्ति प्राप्त की। उनके लिये ‘शासन करना’ का अर्थ
था ‘सेवा करना’। आज वे हमसे कह रहे हैं कि हम उनका अनुसरण करें- सेवा करें, ग़रीबों,
कमजोरों और बहिष्कृतों की पुकार पर ध्यान दें।
आज उन्हें, जिन्होंने बपतिस्मा
प्राप्त किया है उन्हें इस बात का निर्णय करना है कि क्या वे येसु का अनुसरण करेंगे और
एक बहुत बड़े बलिदान की माँग को स्वीकार करेंगे, यहाँ तक कि अपने जीवन का भी बलिदान करेंगे
या नहीं।
हालाँकि संत पौल आज हमें याद दिलाते हैं कि ईसा मसीह मृत्यु पर विजय
प्राप्त करेंगे और हमें पुनरुत्थान का उपहार देंगे। संत पौल हमें एक नयी दुनिया के बारे
में बतलाते हैं और कहते हैं कि यह ऐसी दुनिया है जहाँ मुक्ति और आनन्द है।
कई
अर्थ में हम आज भी बीते युग के सदृश ही हैं। हममें से कई लोग भय के शिकार हैं ऐसा भय
जो हमें मुक्ति और आनन्द का अनुभव नहीं होने देता। आज आइये हम येसु को इस भय की दुनिया
से मुक्ति प्रदान करने के लिये आमंत्रित करें। हमारा विश्वास हमें भय और पीड़ाओं से मुक्ति
करेगा और एक ऐसी दुनिया में ले आयेगा जहाँ न्याय और सत्य शब्द मात्र नहीं है, जहाँ हमें
आंतरिक स्वतंत्रता प्राप्त होगी और हम ईश्वरीय शांति का अनुभव स्वयं अपने दिल में और
पड़ोसियों के साथ कर पायेंगे। बपतिस्मा में ही हमें यह कृपा दे दी गयी है।
हमने
सुसमाचार में सुना " आओ मेरे पिता के धन्य लोगो उस राज्य के अधिकारी बनो जो तुम्हारे
लिये संसार के आरंभ से ही तैयार किया गया था (संत मत्ती, 25:34)। आइये हमें इस आशीर्वाद
को प्राप्त करें जिसे मानव पुत्र महाविचार के दिन उन लोगों को प्रदान करेगा जिन्होंने
खुले मन-दिल और प्रेम से गिरे हुओं में, येसु को देख पाया
मेरे प्रिय भाइयो एवं
बहनों, सुसमाचार के शब्द सचमुच आशा भरे हैं क्योंकि दुनिया के प्रभु और सेवकों के सेवक
हमारे करीब आ गये हैं। यहाँ मैं विशेष रूप से उन लोगों की याद करते हुए अपना स्नेह दिखाना
चाहता हूँ जो दुःख-तकलीफ़ झेल रहे हैं, जो बीमार है एड्स आदि बीमारों के शिकार है और
ऐसे लोग जिन्हें समाज ने भुला दिया है।
हिम्मत बाँधिये ! संत पापा अपनी प्रार्थनाओं
और मन-दिल से आप लोगों के साथ है; वे चाहते हैं कि आपके दुःख में सहभागी हों और आपको
अपने भाई-बहन रूप में स्वीकार करें। आपको हर प्रकार की पीड़ा और दर्द से मुक्ति दें।
प्रत्येक बीमार, निर्धन व्यक्ति हमारे स्नेह और आदर के योग्य है क्योंकि उनके द्वारा
ईश्वर ने हमें स्वर्ग का रास्ता दिखलाया है।
आज की इस शुभ वेला में मैं आप सबों
को इस बात के लिये आमंत्रित करता हूँ कि आप आनन्द मनायें। एक सौ पचास वर्ष पहले बेनिन
की धरती में पावन क्रूस को खड़ा किया गया और सुसमाचार की घोषणा की गयी। आज हम ईश्वर को
धन्यवाद दें उन सभी मिशनरियों के लिये जिन्होंने इस में अपना योगदान दिया, उन प्रेरितिक
कर्मियों को जिन्होंने सर्वप्रथम इस कार्य के लिये जिन्होंने अपने को समर्पित किया। धर्माध्यक्षों
पुरोहितों, धर्मसमाजियों, धर्मप्रचारकों और उन तमाम लोगों को जिन्होंने पूरे अफ्रीका
के लोगों में येसु के विश्वास को सुदृढ़ किया।
आज मैं विशेष रूप से वन्दनीय कार्डिनल
बेर्नादिन गंतिन के प्रति अपना सम्मान दिखाता हूँ जिनका विश्वास और प्रज्ञा पूरे बेनिन
और अफ्रीकी महादेश के लिये अनुकरणीय है।
मेरे प्रिय भाइयो एवं बहनों जिसने भी
विश्वास का वरदान पाया है वह पुनर्जीवित येसु के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त करेगा
और आज वह गहराई से यह महसूस करता है कि वह येसु की घोषणा पूरी दुनिया में करे। कलीसिया
इस दुनिया में विद्यमान है ताकि सुसमाचार का प्रचार हो, और यह दायित्व सबों का है।
एक
सौ पचास वर्ष बाद भी कई ऐसे हैं जिन्होंने ईशवचन को नहीं सुना है, कई ऐसे हैं जो विश्वास
में कमजोर हैं, कई जिनका जीवन, सोच और आदतें ऐसी हैं मानो वे समुसमाचार को नहीं जानते
हैं। ऐसे लोग अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिये जीते हैं और उनके जीवन का लक्ष्य है शक्ति
और सम्पति प्राप्त करना।
पूरे उत्साह के साथ आप उस विश्वास के प्रचारक बनिये
जिसे आपने ने ग्रहण किया है। आप येसु मसीह स्नेह भरे मुखड़े की चमक को दुनिया में प्रस्तुत
करें विशेष करके युवाओं के समक्ष जो चाहते हैं कि उन्हें जीवन का अर्थ प्राप्त हो और
चुनौतियों के समय उन्हें आशा की किरण प्राप्त हो।
बेनिन की कलीसिया ने कई अपने
मिशनरियों से बहुत कुछ पायाहै और अब उन्हें आशा के इस संदेश को उन लोगों तक ले जाना है
जिन्होंने अब तक येसु के बारे नहीं सुना है।
मेरे प्रिय भाइयो एवं बहनों, मैं
आज आपलोगों से कहना चाहता हूँ कि आप अपने देश में सुसमाचार का प्रचार करें विशेष करके
आपके महादेश में और दुनिया में भी। हाल में सम्पन्न धर्माध्यक्षों कि विशेष महासभा ने
इस बात पर बल दिया कि आशा के पुजारी ख्रीस्तीय दूसरों की चिन्ता किये बिना जीवन नहीं
जी सकते।
पूरी दुनिया येसु के उदाहण के विरुद्ध हो पर ख्रीस्तीय, येसु द्वारा
दी गयी शांति, एकता और मेल-मिलाप का प्रचार अनवरत करते रहेंगे। येसु के प्रति विश्वस्त
रहकर मानवता की मुक्ति योजना को पूरा करने में अपना पूर्ण सहयोग देंगे।
प्रिय
भाइयो एवं बहनों, मैं आप लोगों निवेदन करता हूँ आप येसु मसीह में अपना विश्वास सुदृढ़
कीजिये। येसु मसीह ही हमें सच्चा जीवन देते हमारी चिन्ताओं हमारी निष्क्रियता से मुक्ति
प्रदान करते हैँ।
बपतिस्मा में प्राप्त नींव को आप पुनः ढ़ूँढ़ निकालिये जिसके
कारण आप ईश्वरीय पुत्र- पुत्रियाँ बन गये हैं। येसु मसीह आपको अपनी कृपा प्रदान करे ताकि
आप उस ख्रीस्तीय विश्वास को नयी पीढ़ी को उदारतापूर्वक देने के लिये नये तरीके पा सकें
जिसे आपने अपने पूर्वजों के द्वारा पाया है।