2011-11-16 13:28:57

बुधवारीय - आमदर्शन समारोह के अवसर पर
संत पापा का संदेश
16 नवम्बर, 2011


वाटिकन सिटी, 16 नवम्बर, 2011 (सेदोक, वी.आर) बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में देश-विदेश से एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया।

उन्होंने अंग्रेजी भाषा में कहा - मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, आज की धर्मशिक्षामाला में ख्रीस्तीय प्रार्थना पर मनन-चिन्तन करना जारी रखें। आज के चिन्तन के लिये हम स्तोत्र या भजनगीत 110 को लें। इस भजनगीत को आरंभ से ही राजा दाऊद के राज्याभिषेक के साथ जोड़ कर देखा जाता रहा है।

काथलिक कलीसिया इस भजनगीत को येसु मसीह के बारे में की गयी भविष्यवाणी के रूप में याद करती है।

इसमें येसु मसीह को मसीहा, राजा और अनन्त पुरोहित को रूप बताया गया है जो मृतकों में से जी उठे और पिता की दाहिनी ओर विराजमान हैं।

संत पीटर ने ने पेन्तेकोस्त के दिन दिये गये अपने भाषण में इन्हीं शब्दों के द्वारा येसु की मृत्यु पर विजय और महिमा का बखान किया है (प्रेरित चरित, 2:32-36) आरंभ से ही भजनगीत के तीसरे पद में राजा को ईशपुत्र के रूप में समझाया गया है, जबकि चौथे पद में उनका वर्णन मेलकीसेदेक के समान एक अनन्त पुरोहित के रूप किया गया है।
इब्रानियों के नाम लिखे अपने पत्र में संत पौल येसु के इसी रूप के बारे में बतलाते हैं। वे कहते हैं कि ईसा मसीह, ईश्वर के पुत्र और एक पूर्ण महा पुरोहित जो अनन्त काल से उनके लिये निवेदन करते रहे हैं, जो उनकी मध्यस्थता से पिता ईश्वर के पास आते हैं।(इब्रानियों के नाम पत्र 7:25) अंतिम पद में भजनगीत एक विजयी राज को हमारे समक्ष प्रस्तुत करते हैं जो दुनिया का अंतिम न्याय करेगा।


आज जब हम स्तोत्र 110 पर मनन-चिन्तन कर रहे हैं हम घोषणा करते हैं कि येसु हमारे राजा और विजयी प्रभु है, हम ईश्वर से याचना करें कि हम येसु के शरीर के अभिन्न होने के कारण उन्हीं के समान राजा और पुरोहित की मर्यादा रखते हुए अपना जीवन जी सकें।


इतना कहकर संत पापा ने अपना संदेश समाप्त किया।

उन्होंने सभा में उपस्थित विद्यार्थियों, अमेरिकी-इस्राएल मामलों के लिये बनी समिति के प्रतिनिधियों, ग्रेट ब्रिटेन, डेनमार्क, नोर्वे, जापान, कनाडा और अमेरिका के तीर्थयात्रियों और उपस्थित लोगों पर प्रभु की कृपा, प्रेम और शांति की कामना करते हुए उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।












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