संत पापा ने अडल्ट स्टेम सेल्स शोध को प्रोत्साहन दिया
वाटिकन सिटी 15 नवम्बर (जेनित) संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने स्वीकार किया है कि वैज्ञानिकों
के सामने असाध्य रोगों का इलाज पाने के लिए प्रलोभन हैं तथापि उनका कहना है कि एक व्यक्ति
के जीवन को फायदा पहुँचाने के लिए दूसरे जीवन को नष्ट नहीं किया जा सकता है।
संस्कृति
संबंधी परमधर्मपर्ठीय समिति तथा अमरीकी कम्पनी स्टेम फोर लाईफ फाउंडेशन के सहयोग से आयोजित
अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के लगभग 250 प्रतिभागियों को शनिवार को सम्बोधित संदेश में उन्होंने
उक्त बातें कहीं। " अडल्ट स्टेम सेल्स साइंस एंड द फ्युचर औफ मैन एंड कल्चर " शीर्षक
से तीन दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें इलाज के लिए अडल्ट स्टेम सेल्स के उपयोग
पर विज्ञान के नजरिये से तथा सांस्कृतिक, नैतिक और मानवशास्त्रीय पहलूओं के तहत विचार
विमर्श किया गया।
संत पापा ने कहा कि मानव में अमर आत्मा है इसलिए मानव अस्तित्व
में वैसे आयाम हैं जो उन सीमाओं से परे हैं जिसे प्राकृतिक विज्ञान निर्धारित कर सकती
है। बीमारियों का इलाज पाने की इच्छा को स्वीकार करते हुए वैज्ञानिकों और नीति निर्धारकों
के सामने प्रलोभन है कि वे नैतिक अवरोधों को किनारे करते हुए आगे बढें जो शोध के द्वारा
सफल होने की संभावना देते हैं। रोगों के इलाज के लिए सफलता पाने की आशा में जो लोग भ्रूणीय
स्टेम सेल्स पर शोध की वकालत करते हैं वे गर्भधारण के प्रथम क्षण से लेकर स्वाभाविक मृत्यु
तक हर व्यक्ति के जीवन संबंधी अहस्तांतरणीय अधिकार से इंकार करने की गंभीर गलती करते
हैं।
संत पापा ने कहा कि एक व्यक्ति के जीवन के विनाश को न्यायसंगत नहीं कहा जा
सकता है कि इससे दूसरे को संभवतः लाभ होगा। उन्होंने अडल्ट स्टेम सेल्स शोध पर सकारात्मक
रूख दिखाते हुए कहा कि कलीसिया स्वाभाविक रूप से इसे प्रोत्साहन देती है जब यह मानव प्राणी
की सम्पूर्ण भलाई तथा समाज के हित के प्रति सम्मान रखते हुए किया जाता है।
संत
पापा ने कहा कि विज्ञान और नैतिकता के मध्य संवाद बहुत महत्व का है ताकि अस्वीकार्य मानव
क्षति पर चिकित्सीय प्रगति न हो। कलीसियाई प्रयास अशक्त लोगों की रक्षा के लिए ध्यान
आकर्षित करते हैं, यह न केवल अजन्मे शिशुओं की रक्षा का प्रयास है लेकिन उन सबकी भी जिनकी
पहुँच महँगे चिकित्सीय इलाज तक नहीं है। न्याय की माँग है कि हर प्रयास किये जायें ताकि
वैज्ञानिक शोधों का लाभ सबको मिले।